अपडेटेड 23 March 2024 at 13:04 IST

कैश फॉर क्वैरी मामले में जांच की आंच तेज, महुआ मोइत्रा के घर पहुंची CBI की टीम

केश फॉर क्वैरी मामले में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ गई। दरअसल, CBI की टीम महुआ मोइत्रा के कोलकाता स्थित आवास पर पहुंची है।

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File Photo of Mahua
महुआ मोइत्रा के घर पहुंची CBI | Image: PTI

केश फॉर क्वैरी मामले में तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। दरअसल, CBI की टीम महुआ मोइत्रा के कोलकाता स्थित आवास पर पहुंची है। भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने धन लेकर सवाल पूछने के मामले में टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ गुरुवार को प्राथमिकी दर्ज की।

TMC नेता मोइत्रा के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाए गए थे। इसके बाद सीबीआई ने जांच शुरु किया, जिसके बाद लोकपाल ने एजेंसी को प्राथमिकी दर्ज करने निर्देश जारी किए। लोकपाल ने सीबीआई को इस मामले में मोइत्रा के खिलाफ शिकायतों के सभी पहलुओं की जांच करने के बाद छह महीने में अपना रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

पिछले साल लोकसभा से हुईं थीं निष्कासित

लोकसभा ने पिछले साल दिसंबर में ‘‘अनैतिक आचरण’’ के लिए महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया था। हालांकि, पूर्व सांसद ने अपने निष्कासन को हाई कोर्ट में चुनौती दी। महुआ मोइत्रा आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार के रूप में एक बार फिर से मैदान में उतरने वाली हैं।

BJP ने पैसे लेकर लोकसभा में सवाल पूछने का लगाया था आरोप 

भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने टीएमसी नेता के ऊपर आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने उद्योगपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य पर निशाना साधने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे। हालांकि, टीएमसी नेता ने इन सभी आरोपों से साफ इनकार कर दिया।

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वहीं, सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज कर जांच का आदेश देते हुए लोकपाल की पीठ ने आदेश में कहा, “लोकपाल ने पाया कि प्रतिवादी लोक सेवक के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद गंभीर प्रकृति के हैं, जिनमें से अधिकतर के पक्ष में ठोस सबूत हैं। इसलिए, हमारी सुविचारित राय में सच्चाई का पता लगाने के लिए गहरी जांच की आवश्यकता है।” इस पीठ में न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी (न्यायिक सदस्य) और सदस्य अर्चना रामसुंदरम और महेंद्र सिंह शामिल हैं।

आदेश में कहा गया कि लोक सेवक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी बरतने के लिए बाध्य है, चाहे वह किसी भी पद पर हो। जन प्रतिनिधि के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है। भ्रष्टाचार ऐसी बीमारी है जो इस लोकतांत्रिक देश के विधायी, प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।

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'सभी पहलुओं से जांच करे सीबीआई'

लोकपीठ ने आदेश में कहा, “हम सीबीआई को शिकायत में लगाए गए आरोपों के सभी पहलुओं की जांच करने और इस आदेश की तारीख से छह महीने के भीतर जांच रिपोर्ट की एक प्रति सौंपने का निर्देश देते हैं। सीबीआई जांच की स्थिति के संबंध में मासिक रिपोर्ट दाखिल करेगी।”

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 23 March 2024 at 10:27 IST