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Published 23:58 IST, October 17th 2024

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी के अनुरोध पर कनाडा ने नहीं की कार्रवाई:विदेश मंत्रालय

भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और अन्य गिरोहों के सदस्यों के बारे में सुरक्षा संबंधी जानकारी कनाडा सरकार के साथ साझा की है।

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randhir jaiswal
रणधीर जयसवाल | Image: ANI

भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और अन्य गिरोहों के सदस्यों के बारे में सुरक्षा संबंधी जानकारी कनाडा सरकार के साथ साझा की है तथा उनकी गिरफ्तारी की मांग की है, लेकिन अभी तक ओटावा द्वारा “कोई कार्रवाई” नहीं की गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, “उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो हमारी मुख्य चिंता है। और, इसके पीछे एक राजनीतिक मकसद है, जिसे आप जानते हैं...हमारी सुरक्षा चिंता पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।”

उन्होंने यह बात यहां अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में कही, जब उनसे भारत-कनाडा संबंधों पर कई प्रश्न पूछे गए। यह बात कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा एक जांच आयोग के समक्ष गवाही देने के एक दिन बाद कही गई।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जायसवाल ने कहा, “जहां तक ​​मेरी जानकारी है, पिछले एक दशक या उससे अधिक समय से कनाडा के पास भारत से 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं।”

भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि कनाडा के साथ मौजूदा कूटनीतिक विवाद ट्रूडो सरकार के “निराधार” आरोपों के कारण उत्पन्न हुआ है, तथा नयी दिल्ली के खिलाफ ओटावा के गंभीर आरोपों के समर्थन में “कोई सबूत” साझा नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा, “हम कहेंगे कि जहां तक ​​आरोपों का सवाल है, प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा कल की गई स्वीकारोक्ति से आरोपों पर हमारे रुख के महत्व का पता चलता है। हम स्वाभाविक रूप से अपने राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को खारिज करेंगे।”

संघीय चुनाव प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने बुधवार को स्वीकार किया कि जब उन्होंने पिछले वर्ष खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था, तब उनके पास केवल खुफिया जानकारी थी और कोई “ठोस साक्ष्य” नहीं था।

विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उसने जो सुना है, वह नयी दिल्ली के इस दृढ़ रुख की पुष्टि करता है कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ ओटावा द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में “हमें कोई सबूत पेश नहीं किया है”।

जायसवाल ने कहा, “अभी तक कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया है।”

जांच के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री द्वारा किए गए दावों को देखते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी महत्वपूर्ण हो जाती है।

सार्वजनिक जांच के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने दावा किया कि भारतीय राजनयिक उन कनाडाई लोगों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे थे जो नरेन्द्र मोदी सरकार से असहमत हैं और इसे भारत सरकार के उच्चतम स्तर तथा लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों तक पहुंचा रहे थे।

भारत की ओर से प्रत्यर्पण अनुरोधों के बारे में पूछे गए एक प्रश्न पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 26 प्रत्यर्पण अनुरोधों के अलावा, कई अपराधियों के अनंतिम गिरफ्तारी अनुरोध भी कनाडा के पास लंबित हैं।

जायसवाल ने कहा, “आतंकवाद और उससे संबंधित अपराधों के आरोप में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, मैं उनके नाम लेना चाहूंगा। वे हैं, गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल। जैसा कि मैंने आपको बताया, वे आतंकवाद के आरोपों में वांछित हैं। और कुछ संबंधित आरोप भी हैं।”

भारत ने पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत अनंतिम गिरफ्तारी की जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि पांचों अपराधी (जिनका नाम ब्रीफिंग के दौरान लिया गया) भगोड़े हैं, जिनके प्रत्यर्पण की “हमने मांग की है”।

यह पूछे जाने पर कि क्या निज्जर का नाम प्रत्यर्पण सूची में था, जायसवाल ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं था।

निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली ने “लॉरेंस बिश्नोई गिरोह सहित गिरोह के सदस्यों के बारे में सुरक्षा संबंधी जानकारी कनाडा सरकार के साथ साझा की है, तथा उनसे उन्हें गिरफ्तार करने और/या कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि भारत ने यह जानकारी दे दी है, लेकिन “अभी तक कनाडा की ओर से हमारे अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह बहुत गंभीर बात है।”

जायसवाल ने कहा कि यह वास्तव में अजीब है कि “जिन लोगों को हमने निर्वासित करने के लिए कहा था, जिन पर हमने कार्रवाई करने के लिए कहा था, हमें बताया जा रहा है कि वे ही हैं... या आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) भारतीय पक्ष को दोषी ठहरा रही है, कि ये लोग कनाडा में अपराध कर रहे हैं, जिसके लिए आपको दोषी ठहराया जाना चाहिए। इसलिए यह शब्दों का विरोधाभास है, जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं”।

भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपनी धरती से गतिविधियां चला रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी रोक-टोक के जगह दे रहा है।

Updated 23:58 IST, October 17th 2024