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Published 21:29 IST, August 29th 2024

कलकत्ता HC ने 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' की रिलीज पर नहीं लगाई रोक, इस दिन देगी सिनेमाघरों में दस्तक

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंदी फिल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ की रिलीज पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी तरह की स्वस्थ आलोचना को रोका नहीं जाना चाहिए।

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The Diary of West Bengal
The Diary of West Bengal | Image: imdb/freepik

The Diary Of West Bengal: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंदी फिल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ की रिलीज पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी तरह की स्वस्थ आलोचना को रोका नहीं जाना चाहिए। उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। याचिका में दावा किया गया था कि फिल्म में राज्य की मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) की गलत छवि पेश की गई है।

फिल्म 30 अगस्त को रिलीज होगी। मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि यद्यपि वह याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है, लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने याचिका के समर्थन में विस्तृत दलीलें देने की इच्छा जताई है, इसलिए मामले को तीन सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं और बायोपिक के जरिये किसी भी तरह की स्वस्थ आलोचना को नहीं रोका जाना चाहिए।’’ खंडपीठ ने कहा, ‘‘हम एक सहिष्णु समाज हैं, पश्चिम बंगाल एक सहिष्णु समाज रहा है।’’ याचिकाकर्ता के वकील ज्वॉय साहा ने अदालत के समक्ष दावा किया कि सनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित यह फिल्म दो समुदायों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।

पीठ ने कहा कि किसी पुस्तक, फिल्म या नाटक पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया हुआ है कि यह लोगों पर निर्भर है कि वे उन्हें देखेंगे या पढ़ेंगे या नहीं।

अदालत ने जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया और कहा कि अगर फिल्म में चित्रित किसी व्यक्ति को पीड़ा होती है, तो वह व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता विवादित फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र रद्द करने का अनुरोध करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) का रुख कर सकता है। सीबीएफसी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत के समक्ष दलील दी कि उसने फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किया है। 

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 21:29 IST, August 29th 2024