अपडेटेड 29 January 2024 at 23:39 IST
क्या 7 दिन में लागू होगा CAA? किन लोगों पर पड़ेगा असर... इससे जुड़े हर सवाल का यहां जानिए जवाब
Controversy On CAA: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी एक-एक कर अपना संकल्प पूरा कर रही है। धारा 370 और राम मंदिर के बाद अब CAA और UCC पर काम तेज कर दिया गया है।
- भारत
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Controversy On CAA: सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA को लेकर देशभर में फिर चर्चा शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने सोमवार को दावा किया कि CAA एक सप्ताह के भीतर देशभर में लागू कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस दावे को चुनावी बयानबाजी कहकर खारिज कर दिया और राज्य में CAA को रोकने का संकल्प जताया।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी एक-एक कर अपना संकल्प पूरा कर रही है। धारा 370 और राम मंदिर के बाद अब CAA और UCC पर काम तेज कर दिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह CAA को लेकर पहले ही एलान कर चुके थे कि इसे लागू होने से कोई रोक नहीं सकता है और अब केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कोलकाता की एक रैली के दौरान साफ कर दिया है कि 7 दिनों के अंदर देशभर में CAA लागू किया जाएगा।
उत्तराखंड में UCC
CAA को लेकर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच भी सियासी बयानबाजी चरम पर है। बीजेपी जहां CAA और NRC को देश की जरूरत बता रही है, तो वहीं कांग्रेस CAA की खिलाफत पर अड़ी है। देश में CAA पर सियासत के बीच उत्तराखंड सरकार UCC लागू करने की तैयारी में जुटी है। उत्तराखंड में UCC पर बनी ड्राफ्ट कमेटी 2 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। माना जा रहा है कि धामी सरकार इसी सत्र में UCC पर बिल पेश कर उसे पास करा लेगी और उत्तराखंड में UCC लागू कर दिया जाएगा।
क्या है CAA?
इसे नागरिकता संशोधन कानून भी कहते हैं। इसमें विदेशियों के नागरिकता का प्रावधान है। तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों पर ये लागू होगा। इन देशों के अल्पसंख्यकों हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो 2014 से पहले आए होंगे और धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में आए हैं, जो कम-से-कम 6 साल से भारत में रह रहे होंगे।
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कैसे मिलेगी नागरिकता?
नागरिकता की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए सरकार ने पोर्टल तैयार कर लिया है। आवेदकों को भारत में आने का साल बताना होगा, उन्हें इसके लिए कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है। किस देश के नागरिक हैं इसके लिए भी प्रूफ नहीं चाहिए, मतलब उनके पास पासपोर्ट या वीजा होना जरूरी नहीं है। ऑनलाइन अप्लाई करने के बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और जांच के बाद नागरिकता दी जाएगी।
CAA से घबराने की जरुरत नहीं
देश में CAA का विरोध कई सालों से हो रहा है। कुछ लोग CAA को गैर-सांविधानिक बता रहे हैं, क्योंकि इसमें धर्म आधारित नागरिकता का जिक्र है। जबकि सरकार का कहना है कि संवैधानिक है। इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, इसमें विदेशी अल्पसंख्यकों का जिक्र है। उत्तर-पूर्व के लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं। इससे उन्हें खुद के अल्पसंख्यक होने का डर है। उन्हें लगता है कि बाहर के लोग यहां बस जाएंगे। जिससे उनका हक छिनेगा, संस्कृति पर असर पड़ेगा।
CAA का ताल्लुक NRC से भी है, जिसे लेकर बहस छिड़ी है।
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NRC क्या है?
इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) भी कहते हैं। इसका ताल्लुक देश में अवैध नागरिकों से है। इसमें अवैध विदेशियों की पहचान की जाती है, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या वर्ग से आते हों। फिलहाल NRC पर केवल असम में काम हुआ है। असम में सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में NRC बना है, हालांकि असम में अभी इसे लागू नहीं किया गया है। क्योंकि केंद्र ने इसे अभी नोटिफाई नहीं किया है। बाकी राज्यों में NPR के साथ ही NRC हो जाएगा।
इसके लिए पहचान पत्र वेरिफाई कराना पड़ सकता है। शक होने पर ही नागरिकता के प्रूफ देने पड़ सकते हैं, जो पिता या दादा की जमीन के कागज प्रूफ हो सकते हैं। पिता या दादा ने वोट दिया है तो वोटर लिस्ट में उनका नाम होना चाहिए। जो भारतीय हैं उन्हे कोई मुश्किल नहीं होने वाली है। अगर किसी का नाम NRC में नहीं होगा, तो उसे चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उस शख्स को NRC के लिए आवेदन करना होगा। आवेदन में उसे अपनी नागरिकता प्रूफ करनी होगी। अगर नहीं कर पाए, तो उन्हें एक मौका दिया जाएगा। अथॉरिटी की तरफ से उसे रिजेक्शन स्लिप दी जाएगी, जिसके आधार पर फॉर्नर्स ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं। दस्तावेजों से अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। वहां भी नागरिकता प्रूफ नहीं कर पाए, तो भी मौका मिलेगा। इसके बाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाने का मौका दिया जाएगा और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट।
NPR क्या है?
इसे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register) कहते हैं। इससे देश में रहने वालों का पता चलता है। मौखिक जानकारी से जनसंख्या की गिनती होती है। NPR में किसी तरह के कोई दस्तावेज नहीं देना पड़ता है। ये एक तरह का डाटाबेस है, भारत में रहने वालों का पता चलता है।
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 29 January 2024 at 23:39 IST