Published 07:34 IST, October 10th 2024
अलविदा Ratan Tata: सुबह 10 बजे से आम लोग देंगे श्रद्धांजलि, कब-कहां होगा अंतिम संस्कार?
अंतिम दर्शन के बाद रतन टाटा के पार्थिव शरीर को श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए लाया जाएगा। यहीं साइरस मिस्त्री का भी अंतिम संस्कार हुआ था।
Ratan Tata Death News: टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन नवल टाटा और दिग्गज भारतीय उद्योगपति रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की दुखद खबर से आज पूरा देश शोक की लहर में डूबा है। हर कोई नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया है कि भारत के 'रत्न' को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। शाम 4 बजे उनका पार्थिव शरीर वर्ली श्मशान घाट ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा। इससे पहले सुबह 10 बजे से आम लोग रतन टाटा के अंतिम दर्शन कर सकेंगे।
आम लोग कर सकेंगे अंतिम दर्शन
रतन टाटा के पार्थिव शरीर को कोलाबा स्थित उनके घर लाया गया है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स हॉल में रखा जाएगा। यहां सुबह 10 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक आम लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।
मुंबई पुलिस के दक्षिण क्षेत्र के अतिरिक्त आयुक्त अभिनव देशमुख ने कहा, "सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 3:30 बजे तक उनका पार्थिव शरीर दर्शन के लिए NCPA में रखा जाएगा। जो भी लोग दर्शन के लिए आएंगे उनसे अपील है कि वहां पार्किंग की सुविधा नहीं है तो उन्हें पुलिस के निर्देशों का पालन करना होगा और अपनी पार्किंग की व्यवस्था देख कर आएं... पुलिस पूरी तरह से तैनात रहेगी।"
वर्ली श्मशान घाट में होगा अंतिम संस्कार
अंतिम दर्शन के बाद रतन टाटा के पार्थिव शरीर को श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए लाया जाएगा। यहीं साइरस मिस्त्री का भी अंतिम संस्कार हुआ था। महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने ऐळान किया है कि पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई जी जाएगी।
पारसी या हिंदू... किस रीति-रिवाज से होगा अंतिम संस्कार?
रतन टाटा पारसी समुदाय से आते हैं। पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार के नियम काफी अलग है। पारसियों में अंतिम संस्कार की परंपरा 3 हजार साल पुरानी हैं। इनमें न तो शव को जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है। पारसी धर्म में मौत के बाद शव को पारंपरिक कब्रिस्तान जिसे टावर ऑफ साइलेंस या दखमा कहते हैं, वहां खुले में गिद्धों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता है।
हालांकि बात रतन टाटा की करें तो उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों से किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना महामारी के समय शवों के अंतिम संस्कार के तरीकों में बदलाव हुए थे। उस दौरान पारसी समुदाय के अंतिम संस्कार के रीति रिवाजों पर रोक लगा दी गई थी।
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Updated 07:35 IST, October 10th 2024