अपडेटेड 23 May 2025 at 10:40 IST

कैसे काम करेगा UPI से जुड़ा FRI सिस्टम? आप करते हैं ऑनलाइन पेमेंट तो समझ लें कैसे फ्रॉड से बचना है

FRI सरकार के व्यापक डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) का हिस्सा है और इसे बैंकों, PhonePe, Google Pay और Paytm जैसे UPI प्लेटफॉर्म और अन्य वित्तीय संस्थानों को जोखिम भरे लेनदेन को होने से पहले पहचानने में सहायता करने के लिए डिजाइन किया गया है।

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UPI Payment
UPI Payment | Image: File photo

UPI: साइबर ठगी और पैसों से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए अब UPI लेनदेन को लेकर एक फैसला हुआ है। सरकार ने एक नया सुरक्षा फीचर लॉन्च किया है, जो कुछ मोबाइल नंबरों पर किए गए UPI लेनदेन को ब्लॉक कर देगा। दूरसंचार विभाग (DoT) ने ये बड़ा कदम उठाया है और एक नया सिस्टम शुरू किया है, जिसे "FRI – Financial Fraud Risk Indicator" कहा जा रहा है।

FRI सरकार के व्यापक डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) का हिस्सा है और इसे बैंकों, PhonePe, Google Pay और Paytm जैसे UPI प्लेटफॉर्म और अन्य वित्तीय संस्थानों को जोखिम भरे लेनदेन को होने से पहले पहचानने में सहायता करने के लिए डिजाइन किया गया है।

FRI से क्या मदद मिलती है?

बताया जाता है कि  FRI – Financial Fraud Risk Indicator एक ऐसा सिस्टम है, जो मोबाइल नंबरों का विश्लेषण करके पहले से बता सकता है कि कोई नंबर धोखाधड़ी में शामिल हो सकता है या नहीं। आसान शब्दों में कहें तो ये टूल जोखिम भरे फोन नंबरों की पहचान करता है और धोखेबाजों को पैसे भेजे जाने से पहले यूजर्स को सचेत करता है या लेनदेन को फेल भी कर देता है।

ये सिस्टम Digital Intelligence Platform (DIP) का हिस्सा है और इसका मकसद ये है कि जब कोई बैंक या डिजिटल पेमेंट ऐप किसी नंबर से लेन-देन की प्रक्रिया शुरू करे तो वो पहले से अलर्ट हो जाए कि ये नंबर कितना सुरक्षित है। दूरसंचार विभाग (DOT) की एक खास टीम है, जिसे डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) कहा जाता है। ये टीम उन मोबाइल नंबरों की लिस्ट तैयार करती है जिन्हें बंद (डिस्कनेक्ट) कर दिया गया है। इन लिस्ट में साइबर अपराध में शामिल होने, फिर से वेरिफिकेशन फेल होने और निर्धारित सीमा से अधिक उपयोग करने जैसे डिस्कनेक्ट होने के कारण भी बताए जाते हैं।

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साइबर धोखाधड़ी में दुरुपयोग किए जाने वाला मोबाइल नंबर को आमतौर पर ज्यादा दिनों तक नहीं चलाया जाता है और इसके पूरे वेरिफिकेशन में कई दिन लग सकते हैं। ऐसे नंबरों से जुड़े जोखिम पर पहले आया एक अलर्ट बहुत उपयोगी है। मतलब ये कि जैसे ही किसी संदिग्ध मोबाइल नंबर की पहचान होती है तो ऐसे नंबर का विश्लेषण किया जाता है और इसे इससे जुड़े अलग-अलग वित्तीय जोखिम में बांटा जाता है। फिर ये नंबर के बारे में इस आकलन को तुरंत डीआईपी के जरिए शेयर किया जाता है।

FRI को सबसे पहले PhonePe ने अपनाया

एफआरआई को सबसे पहले PhonePe ने अपनाया। PhonePe ने इसका उपयोग बहुत उच्च एफआरआई मोबाइल नंबरों से जुड़े लेनदेन को अस्वीकार करने और फोन-पे प्रोटेक्ट सुविधा के हिस्से के रूप में ऑन-स्क्रीन अलर्ट दिखाने के लिए किया। PhonePe के अलावा Paytm और Google Pay जैसे प्लेटफॉर्म UPI लेनदेन के 90 प्रतिशत से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। इन प्लेटफॉर्म ने अपने सिस्टम में DIP अलर्ट को जोड़ना करना शुरू कर दिया है।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 23 May 2025 at 10:40 IST