sb.scorecardresearch
Advertisement

अपडेटेड July 29th 2024, 15:11 IST

BJD सदस्य ने राज्यसभा में उठाई मांग, बोले- ‘ओडिशा के लिए कोयले की रॉयल्टी में हो संशोधन’

बीजू जनता दल (बीजद) के सस्मित पात्रा ने सोमवार को राज्यसभा में ओडिशा के लिए कोयले की रॉयल्टी में संशोधन की जोरदार वकालत की।

Follow: Google News Icon
सस्मित पात्रा
Sasmit Patra | Image: ANI

बीजू जनता दल (बीजद) के सस्मित पात्रा ने सोमवार को राज्यसभा में ओडिशा के लिए कोयले की रॉयल्टी में संशोधन की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि यह 12 साल से लंबित है और राज्य को सालाना 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान कोयला रॉयल्टी बढ़ाने की मांग उठाते हुए पात्रा ने कहा कि ओडिशा देश के शीर्ष दो राज्यों में शामिल है, जो कोयले का सर्वाधिक उत्पादन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि बिजली उत्पादन, ऊर्जा सुरक्षा और कोयला उत्पादन में ओडिशा के भारी योगदान के बावजूद पिछले 12 वर्षों से कोयले की रॉयल्टी संशोधन की इसकी उचित मांग पूरी नहीं की गई है। इसके कारण ओडिशा को प्रति वर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य के लिए कोयला रॉयल्टी की दरों को आखिरी बार मई 2012 में संशोधित किया गया था। पात्रा ने कहा कि पिछले 12 वर्षों में ओडिशा को कोयले की रॉयल्टी की सही समीक्षा नहीं की गई है, जिससे राज्य को प्रति वर्ष 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। यह शासन का मुद्दा है। और इस पर गौर करने की जरूरत है क्योंकि यह लोगों का मुद्दा है और ओडिशा में पीड़ित लोगों का मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा कि अगर ओडिशा को अतिरिक्त 10,000 करोड़ रुपये मिलने लगते हैं तो इसका इस्तेमाल राज्य के विकास के लिए किया जा सकता है।

पात्रा ने कहा कि बीजद नेता और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित पार्टी के सांसदों ने संसद सहित विभिन्न मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है लेकिन सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। शून्यकाल में कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने गुजरात के कई हिस्सों में भारी वर्षा से हुई तबाही पर चिंता व्यक्त की।

गोहिल ने कहा कि बारिश के कारण कई लोगों की जान चली गई है और फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि मानसून के आने से पहले बरसाती नालों की सफाई नहीं की जाती। उन्होंने इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

कांग्रेस सदस्य ने यह भी कहा कि अनधिकृत निर्माण के कारण पानी का प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित होता है और इसका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ता है। गोहिल ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत ‘बचाव, राहत और पुनर्वास’ के प्रावधान हैं लेकिन तीनों में से कोई भी गुजरात में लागू नहीं किया जा रहा है।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

पब्लिश्ड July 29th 2024, 15:11 IST