अपडेटेड 14 May 2024 at 09:45 IST
Sushil Modi Death News: शादी के दिन सुशील मोदी को अटल ने दिया था गुरूमंत्र, फिर ऐसे बदली थी किस्मत
सुशील मोदी उन याचिकाकर्ताओं में से एक होने पर गर्व करते थे जिस पर पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के आदेश दिए थे।
- भारत
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Sushil Modi Death News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई में संभवतः उस सबसे बड़े नेता के तौर पर सुशील कुमार मोदी को जाना जाएगा जिन्हें राज्य में पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए धैर्यपूर्वक काम करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। बिहार के एक वैश्य परिवार में जन्मे सुशील मोदी पटना विश्वविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में शामिल हो गए और उन्होंने प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 के बिहार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस दौरान वह भावी सहयोगी नीतीश कुमार और अपने विरोधी लालू प्रसाद के संपर्क में भी आए। वह बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बन गए और अक्सर राजनीति में अपने प्रवेश का श्रेय दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को देते थे। सुशील मोदी द्वारा अक्सर साझा किए जाने वाले एक किस्से के अनुसार, 1986 में उनके विवाह समारोह में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष वाजपेयी ने उनसे कहा था कि अब छात्र राजनीति छोड़ने और ‘‘पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता’’ बनने का समय आ गया है।
उन्होंने 1990 में पटना मध्य विधानसभा सीट से अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत की और शहर के पुराने निवासी उन्हें एक विनम्र व्यक्ति के रूप में याद करते हैं जो स्कूटर पर चलते थे। सुशील मोदी को उनके दृढ़ संकल्प के लिए भी जाना जाता था, जिसका पता बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी अथक सक्रियता से पता चलता था।
सुशील मोदी उन याचिकाकर्ताओं में से एक होने पर गर्व करते थे जिस पर पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के आदेश दिए थे। जिसके कारण बाद में 1997 में लालू को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने बिहार विधानसभा में विपक्ष के एक सशक्त नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, इस पद पर वे 2004 तक रहे जब तक कि वे भागलपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो गए। हालांकि, एक साल बाद, राज्य विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस गठबंधन हार गया और मोदी बिहार में वापस आ गए।
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सुशील मोदी को जनता दल (यूनाइटेड) के नेता एवं नीतीश कुमार का भी करीबी माना जाता था। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लंबे समय तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद भी सौंपा और मोदी ने दोनों जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाया जिससे उनके कई प्रशंसक बन गए।
वर्ष 2013 में नीतीश कुमार के भाजपा से पहली बार अलग होने तक सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री के पद पर थे, और चार साल बाद जब जद (यू) सुप्रीमो एक बार फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हुए तो वह वापस इस पद आसीन किए गए। नीतीश कुमार और सुशील मोदी के बीच तालमेल बिहार की राजनीति में किंवदंतियों का विषय रहा है।
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जद (यू) नेता ने अक्सर अपने भरोसेमंद पूर्व उपमुख्यमंत्री जिन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद पद से हटा दिया गया था और राज्यसभा सदस्य के रूप में दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था, को दरकिनार कर दिए जाने पर अफसोस जताया करते थे। भाजपा के कुछ नेता ‘‘मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घटने के बावजूद’’ भाजपा के बढ़त हासिल करने में असमर्थता के लिए नीतीश कुमार के प्रति सुशील मोदी के ‘‘नरम’’ रुख को जिम्मेदार ठहराया करते थे। सुशील मोदी ने एक दशक से अधिक समय तक महत्वपूर्ण वित्त विभाग संभाला था और राज्य के आर्थिक बदलाव की पटकथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 14 May 2024 at 08:10 IST