अपडेटेड 29 July 2024 at 13:23 IST

बिहार में 65% आरक्षण पर रोक रहेगी जारी, पटना HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा

बिहार सरकार को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। बिहार में वंचित तबके के लिए आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से 65 फीसदी तक बढ़ाए जाने पर रोक बरकरार रहेगी।

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बिहार में आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया। | Image: PTI/Shutterstock

Bihar News: बिहार सरकार को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। बिहार में वंचित तबके के लिए आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से 65 फीसदी तक बढ़ाए जाने पर रोक बरकरार रहेगी। सोमवार को मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पटना हाईकोर्ट ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर रोक लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की। कोर्ट सितंबर में विस्तार से इस मसले पर सुनवाई करेगा।

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने पिछले साल आरक्षण का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया था और इससे जुड़ा संशोधन विधानसभा में लेकर आई थी। बाद में इस संशोधन को 9 नवंबर 2023 को विधानसभा से पारित कर दिया गया था। इसमें एससी/एसटी, ओबीसी और आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से 65 फीसदी बढ़ाए जाने का प्रावधान था, जबकि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी सेवा में सिर्फ 35 फीसदी पद ही दिए जा सकते थे।

जातीय सर्वे के बाद संशोधन लाई थी सरकार

10 प्रतिशत आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के साथ इस विधेयक ने बिहार में आरक्षण को 75 फीसदी तक बढ़ा दिया था, जो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित 50% की सीमा से कहीं अधिक था। जाति आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया था। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 18 नवंबर 2023 को संशोधन को मंजूरी दी और फिर राज्य सरकार ने 21 नवंबर 2023 को इसकी अधिसूचना जारी कर दी थी।

सरकार ने आरक्षण में क्या संशोधन किए?

  • अत्यंत पिछड़े वर्गों (ईबीसी) के लिए कोटा 18 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया। 
  • पिछड़े वर्गों (बीसी) के लिए 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी
  • अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए 16 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी
  • अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए कोटा दोगुना करके 1 फीसदी से 2 फीसदी। 
  • बीसी महिलाओं के लिए मौजूदा 3 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया गया था।

27 नवंबर को हाईकोर्ट पहुंचा मामला

हालांकि जल्द ही ये मामला अदालत में पहुंच गया था। बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ 27 नवंबर 2023 को पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। अदालत ने याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर 11 मार्च 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बाद में 20 जून को अपने फैसले में पटना हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और आरक्षण का दायरा बढ़ाने का बिहार सरकार का आदेश रोक दिया था। फिलहाल 29 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला दे दिया है।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 29 July 2024 at 11:38 IST