अपडेटेड 28 July 2024 at 19:13 IST
Bihar News: दरभंगा में विंटेज स्टीम रोलर के संरक्षण की मांग, एक सदी पुराना है भाप का ये रोलर
दरभंगा के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह रोडरोलर पिछले कई वर्षों से शहर के गंगासागर तालाब के पास जर्जर हालत में पड़ा हुआ है। लोग इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं
- भारत
- 4 min read

ब्रिटेन में निर्मित लगभग सौ साल पुराने ‘रोडरोलर’ को पटना में संरक्षित किए जाने के बाद विरासत प्रेमियों ने अब बिहार के दरभंगा में जर्जर हालत में पड़े एक विंटेज स्टीम रोलर को सुरक्षित किए जाने की मांग की है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मिथिला क्षेत्र के केंद्र दरभंगा के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उपेक्षित रोडरोलर पिछले कई वर्षों से शहर के गंगासागर तालाब के पास जर्जर हालत में पड़ा हुआ है।
इस मशीन की डिजाइन और बनावट पटना संग्रहालय से संरक्षित किए गए जॉन फाउलर रोलर से बहुत मिलती-जुलती है तथा विरासत परिवहन विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि इसे भी उसी कंपनी के द्वारा बनाया होगा और इसकी विशिष्टता भी पटना के रोडरोलर जैसी ही है। दरभंगा राज्य की राजधानी पटना से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। इंग्लैंड के लीड्स में ‘जॉन फाउलर एंड कंपनी’ द्वारा निर्मित लगभग एक सदी पुराना भाप चालित रोडरोलर लगभग दो साल पहले तक पटना जिला बोर्ड के कब्जे में था और अब ध्वस्त हो चुके पटना समाहरणालय के परिसर के एक कोने में पड़ा था। इसे 24-25 अगस्त, 2022 की मध्यरात्रि पटना संग्रहालय में लाया गया था।
'भविष्य की पीढ़ियों के लिए किया जाए संरक्षित'
लगभग 18 महीने तक संग्रहालय के परिसर में बुरी हालत में पड़े रहने के बाद कुछ महीने पहले इस ब्रिटिशकालीन भाप चालित रोडरोलर को पटना में सड़क निर्माण अधिकारियों ने संरक्षित कर लिया था। बुनियादी रखरखाव के बाद, रोलर को फिलहाल पटना में राज्य के सड़क निर्माण विभाग की एक यांत्रिक कार्यशाला में एक शेड के नीचे रखा गया है। दरभंगा के मूल निवासी नारायण चौधरी का कहना है कि उन्होंने स्थानीय संग्रहालय अधिकारियों से दरभंगा के रोडरोलर को तुरंत संरक्षित करने की मांग की थी।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पिछले साल नवंबर में भी मैंने दरभंगा में संग्रहालय अधिकारियों से संपर्क कर इस विरासत को बचाने का आग्रह किया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।’’ गंगासागर तालाब के पास दो संग्रहालय महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय और चंद्रधारी संग्रहालय हैं तथा दोनों ही बिहार सरकार के अधीन हैं। चौधरी ने कहा, ‘‘हमने पटना में एक ऐसे ही रोडरोलर के बारे में पढ़ा था जिसे संरक्षित किया गया और उसका जीर्णोद्धार किया गया। हमारे दरभंगा के रोडरोलर को भी भविष्य की पीढ़ियों के लिए क्यों नहीं संरक्षित किया जा सकता?’’
Advertisement
करीब 100 साल पुराना
इस रोडरोलर का डिजाइन और निर्माण भी पटना रोलर के जैसा ही लगता है तथा इससे पता चलता है कि इसे भी अब बंद हो चुकी जॉन फाउलर कंपनी ने बनाया था और लगभग 100 साल पहले स्थानीय उपयोग के लिए भारत भेजा गया था। दरभंगा में जन्मे 33 वर्षीय अभिनव सिन्हा मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं। उन्होंने स्थानीय सरकारी अधिकारियों और शहर के निवासियों तथा अन्य लोगों की इस ‘‘अनमोल विरासत’’ के प्रति उदासीनता पर अफसोस जताया।
सिन्हा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लेकिन, पटना के रोडरोलर के पुनरुद्धार के बाद एक सकारात्मक बात यह हुई है कि हमारी जागरूकता बढ़ी है। हालांकि यह मशीन इतने सालों से वहां पड़ी थी, लेकिन मैंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया और न ही इसका महत्व समझा।’’उन्होंने कहा कि इस रोडरोलर की सभी प्लेट और मार्कर गायब हैं, जिसके बारे में कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि उनके प्राचीन मूल्य के कारण अतीत में धीरे-धीरे इन्हें चुरा लिया गया था।
Advertisement
'अधिकारियों को नहीं कोई रुचि'
दरभंगा में किसी भी सरकारी एजेंसी ने अभी तक इसका स्वामित्व नहीं लिया है, जिससे विरासत प्रेमियों को और भी निराशा हुई है। दरभंगा के स्थानीय संग्रहालयों के सूत्रों ने कहा कि शीर्ष अधिकारियों की इस मशीन को बचाने में कोई रुचि नहीं है। हालांकि, पटना में सड़क निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दरभंगा के रोडरोलर के पुराने महत्व को स्वीकार किया।
अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में लाया गया है कि पटना के समान ही एक और भाप चालित रोडरोलर दरभंगा में एक झील के पास पड़ा है। हम अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करेंगे और अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।’’ विंटेज रोडरोलर को बचाने की मांग ऐसे समय में आई है जब भारत नयी दिल्ली में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की मेजबानी कर रहा है।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 28 July 2024 at 19:13 IST