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Published 18:24 IST, November 26th 2024

बिहार: तेजस्वी वंचित जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 85 प्रतिशत आरक्षण देने के पक्ष में

तेजस्वी यादव ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से वंचित जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ‘85 प्रतिशत’ आरक्षण देने के लिए नया विधेयक लाने का आग्रह किया।

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Tejaswhi Yadav
Tejaswhi Yadav | Image: PTI
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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को बिहार की नीतीश कुमार सरकार से वंचित जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ‘85 प्रतिशत’ आरक्षण देने के लिए नया विधेयक लाने का आग्रह किया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यादव ने इस मामले पर अध्ययन के लिए एक समिति गठित करने की मांग की, जिसके आधार पर अनुसूचित जाति (एससी, अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईबीसी) के लिए उच्च कोटा वाला एक नया विधेयक लाया जाए।

राजद नेता ने इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया कि उसे पटना उच्च न्यायालय के वंचित जातियों के लिए बढ़ाए गए कोटे को रद्द करने के आदेश का विरोध करने वाले "पक्षों में से एक" बनाया जाए।

यादव ने जाति आधारित गणना के बाद बिहार सरकार द्वारा बढ़ाए गए कोटा को चुनौती देने वाली याचिकाओं के पीछे ‘‘भाजपा का हाथ’’ होने का आरोप लगाया। नेता प्रतिपक्ष के लगाए आरोपों पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने यादव को याद दिलाया कि जब सरकार ने जाति सर्वेक्षण के लिए अपनी मंजूरी दी थी तब राजद सत्ता में थी।

सम्राट चौधरी ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष के नेता एक संवैधानिक पद पर होते हुए न्यायपालिका के बारे में सवाल उठा रहे हैं।’’

यादव ने कहा कि जब कोटा बढ़ाया गया था तब वह उपमुख्यमंत्री थे। उन्होंने अध्यक्ष से सदन की एक समिति गठित करने के लिए सरकार को राजी करने का एक बार फिर आग्रह किया।

तेजस्वी ने कहा, ‘‘इस समिति को एक नया विधेयक लाने दें, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए संयुक्त रूप से 85 प्रतिशत कोटा हो। पिछली बार हमने 75 प्रतिशत कोटा प्रदान किया था। बिहार को एक नया उदाहरण स्थापित करने दें।’’

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने तेजस्वी के बयान पर सदन में अपनी सीट से खड़े होकर कहा कि विपक्ष के नेता ने एक ‘‘संवेदनशील’’ मामला उठाया है। उन्होंने बताया कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा बढ़ाए गए आरक्षण पर रोक लगाए जाने के बाद से भर्तियां और प्रवेश ‘‘आरक्षण के पहले के प्रावधान के साथ किए जा रहे हैं।

चौधरी ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बढ़ाए गए कोटा कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में रखने के लिए केंद्र से आग्रह तत्काल आग्रह नहीं कर सकती क्योंकि अदालत के आदेश के बाद उक्त कानून अस्तित्व में नहीं रहा है। हालांकि यादव, सरकार के रुख से असंतुष्ट दिखे और विपक्षी सदस्यों के साथ सदन से बहिर्गमन कर गए। तेजस्वी ने सदन के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि सरकार जाति सर्वेक्षण और अब खत्म किए गए कोटा कानूनों का श्रेय लेने में व्यस्त है पर हमें इन छोटी-छोटी चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार सरकार सदन की एक समिति गठित कर 85 प्रतिशत कोटा की सिफारिश करने पर सहमत होती है तो हम इसका पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हैं।

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Updated 18:24 IST, November 26th 2024