अपडेटेड 14 August 2025 at 19:08 IST

ऑपरेशन सिंदूर में योगदान के लिए बड़ा सम्मान! वायु सेना के इन चार अधिकारियों को मिला 'सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक'

Saravottam Yudh Seva Medal: वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल नरनादेश्वर तिवारी, वेस्टर्न एयर कमांडर एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा और डीजी एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल अवधेश भारती सहित चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों को ऑपरेशन सिंदूर के लिए सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया गया।

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Saravottam Yudh Seva Medal
Saravottam Yudh Seva Medal | Image: ANI

Operation Sindoor, Saravottam Yudh Seva Medal: शुक्रवार 15 अगस्त को पूरा भारत देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तैयार है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपना भाषण देंगे।  वहीं, इस स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले देश के जांबाजों को बड़ा सम्मान दिया गया है।

जी हां, आतंक के खिलाफ भारत के द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में योगदान के लिए वायु सेना के चार अधिकारियों को 'सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक' से सम्मानित किया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार,  वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल नरनादेश्वर तिवारी, वेस्टर्न एयर कमांडर एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा और डीजी एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल अवधेश भारती सहित चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों को ऑपरेशन सिंदूर के लिए सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया गया। वहीं, इनके अलावा भारतीय वायु सेना के 26 अधिकारियों और वायु सैनिकों को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है।


Vayu Sena Medal: 26 अधिकारियों और वायु सैनिकों को वायु सेना पदक


न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, भारतीय वायु सेना के 26 अधिकारियों और वायु सैनिकों को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है। इनमें वे लड़ाकू पायलट शामिल हैं जिन्होंने पाकिस्तान के अंदर लक्ष्यों को भेदने के मिशन में भाग लिया था। वे अधिकारी और सैनिक भी शामिल हैं जिन्होंने S-400 और अन्य वायु रक्षा प्रणालियों का संचालन किया था, जिसने भारतीय धरती पर पाकिस्तान द्वारा योजनाबद्ध सभी हमलों को विफल किया था।

वायु सेना उप प्रमुख एयर मार्शल नरनादेश्वर तिवारी

एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी पीवीएसएम एवीएसएम वीएम ने 02 मई 25 को भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। एयर मार्शल ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला में शामिल होने से पहले देहरादून के राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने जून 1985 में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक के साथ NDA से उत्तीर्णता प्राप्त की। उन्हें 7 जून 1986 को भारतीय वायु सेना में लड़ाकू पायलट के रूप में नियुक्त किया गया था। 

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एयर मार्शल को विभिन्न प्रकार के विमानों पर 3600 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है। वायु सेना उप प्रमुख का पदभार ग्रहण करने से पहले, वे दक्षिण पश्चिमी वायु कमान में एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ थे। उनकी विशिष्ट सेवा के सम्मान में, एयर मार्शल को 2025 में राष्ट्रपति पुरस्कार परम विशिष्ट सेवा पदक, 2022 में अति विशिष्ट सेवा पदक और 2008 में वायु सेना पदक से सम्मानित किया गया। अब उन्हें सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।

एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा 


एयर मार्शल जीतेंद्र मिश्रा ने 1 जनवरी 2025 को भारतीय वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान की कमान संभाली। एयर मार्शल को 6 दिसंबर 1986 को लड़ाकू पायलट के रूप में भारतीय वायुसेना में कमीशन मिला था। अपने 38 वर्षों से अधिक के सेवाकाल में, एयर मार्शल ने महत्वपूर्ण कमान और स्टाफ पदों पर कार्य किया है।

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एयर मार्शल अवधेश भारती

एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती (18781) एफ (पी) को 13 जून 1987 को फ्लाइंग ब्रांच में कमीशन प्राप्त हुआ। 20 से ज्यादा वर्षों की विशिष्ट सेवा में, इस अधिकारी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के स्नातक हैं। वह सुखोई-30एमके स्क्वाड्रन के फ्लाइट कमांडर थे। एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने 3 अक्टूबर 2024 को महानिदेशक वायु संचालन का पदभार ग्रहण किया। 

1987 में लड़ाकू विमान में कमीशन प्राप्त, वे एनडीए, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। अपनी वर्तमान भूमिका से पहले, उन्होंने कई प्रमुख पदों पर कार्य किया, जिनमें एयर ऑफिसर कमांडिंग एडवांस्ड मुख्यालय ईएसी, सहायक वायु सेना संचालन प्रमुख (आक्रामक), और सीएसी के वरिष्ठ वायु कर्मचारी अधिकारी शामिल हैं।

Saravottam Yudh Seva Medal: सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक और उसका रिबन


भारतीय वायु सेना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, युद्ध/संघर्ष/शत्रुता के दौरान असाधारण श्रेणी की विशिष्ट सेवा को मान्यता देने के लिए 26 जून 1980 को सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक की स्थापना की गई।

पदक: गोलाकार, 35 मिमी व्यास वाला और मानक फिटिंग के साथ एक सादे क्षैतिज पट्टी पर लगा हुआ। यह पदक सोने का पानी चढ़ा हुआ होगा। पदक के अग्रभाग पर राज्य चिह्न और "सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक" (अंग्रेजी में) अंकित होगा। इसके पृष्ठभाग पर एक पाँच-नुकीला तारा अंकित होगा।
रिबन: सुनहरे रंग का, जिसके बीच में एक लाल खड़ी पट्टी होती है जो इसे दो बराबर भागों में विभाजित करती है।
बार: यदि पदक प्राप्तकर्ता को बाद में पुनः पदक प्रदान किया जाता है, तो ऐसे प्रत्येक अतिरिक्त पुरस्कार को उस रिबन पर लगी एक बार द्वारा मान्यता दी जाएगी जिससे पदक लटका होता है। प्रत्येक ऐसी बार के लिए, सरकार द्वारा अनुमोदित पैटर्न का एक लघु प्रतीक चिन्ह रिबन पर जोड़ा जाएगा, जब उसे अकेले पहना जाए।
कार्मिक पात्रता: निम्नलिखित श्रेणियों के कार्मिक पदक के लिए पात्र होंगे: -
सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी रैंक, जिनमें प्रादेशिक सेना इकाइयां, सहायक और रिजर्व बल और अन्य विधिपूर्वक गठित सशस्त्र बल शामिल हैं।
सशस्त्र बलों में नर्सिंग अधिकारी और नर्सिंग सेवा के अन्य सदस्य।
पात्रता की शर्तें: यह पदक युद्ध/संघर्ष/शत्रुता के दौरान असाधारण स्तर की विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। यह पदक मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है।

वायु सेना पदक और उसका रिबन


भारतीय वायु सेना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह पदक पाँच-नुकीले तारे वाला है, जो मानक चाँदी से बना है और इसका व्यास 35 मिमी है। यह अशोक के पत्तों से अलंकृत 3 मिमी चौड़ी धातु की पट्टी से जुड़ी एक अंगूठी पर लगा है। राज्य का प्रतीक चिह्न अग्रभाग पर, बीच में, पत्तों की एक माला से घिरा हुआ है। इसके पृष्ठभाग पर हिमालयी चील का चित्र है जिसके नीचे एक शिलालेख है।
रिबन: केसरिया और सिल्वर ग्रे रंग की एकान्तर धारियों में 32 मिमी चौड़ाई, प्रत्येक 3 मिमी चौड़ाई, दाएं से बाएं तिरछी।


ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए थे 100 से अधिक आतंकी 


बीते 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों को निशाना बनाया था। इन आतंकियों ने अपने इस हमले में 25 भारतीयों समेत एक नेपाली नागरिक की भी जान ले ली थी। आतंकियों के द्वारा किए गए इस कायराना हमले का भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (7 मई, 2025) चलाकर मुंहतोड़ जवाब दिया। इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और PoK में कुल 9 आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया और हवाई हमले में करीब 100 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि, आतंक के खिलाफ भारत की यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी, यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं।

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Published By : Amit Dubey

पब्लिश्ड 14 August 2025 at 19:04 IST