अपडेटेड 14 September 2024 at 20:05 IST
What Is IB-Nal-Bar in Arab : उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िए ने एक के बाद एक करके 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। जिले के 50 गांवों में भेड़िया दहशत का पर्याय बन चुका है। आखिर भेड़िए ऐसा क्यों कर रहे हैं तो इसके जवाब में एक्सपर्ट्स ने बदले वाली कहानी का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि भेड़िए अपने दुश्मन को कभी नहीं भूलते हैं। भेड़ियों की एक और खासियत होती है वो इंसानी बर्ताव के काफी करीब होते हैं। जैसे हम इंसान अपने बच्चों और बुजुर्गों के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं वैसे ही भेड़िए भी अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यही वजह है कि आज तक भेड़िए के बच्चे कोई पालने के लिए नहीं ले जा सका है और इसी वजह से भेड़िए को आज तक कोई पालतू नहीं बना पाया।
भेड़िए अपने झुंड में इंसानों की तरह से व्यवहार करते हैं। हर भेड़िए की निश्चित जिम्मेदारी होती है। जैसे युवा भेड़िए ही शिकार के लिए निकलते हैं, जबकि बुजुर्ग भेड़िए मांदों में रहते हैं और झुंड में रहने वाले भेड़ियों के बच्चों की रखवाली और उनकी देखभाल करते हैं। इसके बदले में युवा भेड़िए उनके लिए भी भोजन का इंतजाम करते हैं। यही वजह है कि भेड़िए को इब-नल-बार भी कहा जाता है। इसका मतलब होता है लायक बेटा जो अपने बुजुर्ग माता पिता का अच्छी तरह से ध्यान रखता हो।
भेड़िया ही एक ऐसा जानवर है जो अपने बुजुर्गों का पूरा ध्यान रखता है इसी वजह से इसे अरब में इब-नल-बार भी कहते हैं। Photo - Pixabay
इब-नल-बार ये एक अरबी शब्द होता है जिसका मतलब है नेक बेटा। भेड़िए को अरबी भाषा में 'इब नल बार' कहा जाता है जिसका मतलब है 'नेक बेटा', जो अपने मां-बाप का पूरी तरह से ध्यान रखे और बुढ़ापे में उनकी भरपूर सेवा करे। अरब में भेड़ियों को ये नाम इस वजह से दिया गया है क्योंकि भेड़िया ही एक ऐसा जानवर है जो वृद्धास्था में शिकार पर नहीं जाता है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि बुजुर्ग भेड़ियों के लिए भोजन कहां से आता है। तो हम आपको बताते हैं कि जब भेड़िए अपनी वृद्धावस्था में आते हैं तो वो मांदों में आराम करते हैं और बच्चों की देखभाल करते हैं और झुंड के युवा भेड़िए शिकार पर जाते हैं और बुजुर्ग भेड़ियों के लिए वो भोजन सहित हर चीज की देखभा करते हैं। यही वजह है कि भेड़िए को अरब में इब-नल-बार या आज्ञाकारी बेटा कहा जाता है। ऐसा उदाहरण हम किसी जानवरों के झुंड में नहीं देखते हैं जबकि हम इंसानों के समाज में भी ऐसा ही देखते हैं। भेड़ियों की ये आदते ही हमें भेड़िए और इंसानों के बीच एक समानता का उदाहरण देती हैं।
भेड़िया ही वो जानवर है जो कभी अपनी आजादी से समझौता नहीं करता है। Photo - Pixabay
कहा जाता है कि भेड़िए को अपनी आजादी से ज्यादा कुछ भी प्यारा नहीं है ऐसे में बहराइच में पकड़े गए 4 भेड़िए को कहीं छुड़ाने के लिए तो भेड़ियों ने हमले तेज नहीं कर दिए हैं। वैसे भी एक्सपर्ट्स ने इस बात का दावा किया है कि भेड़िए बदला जरूर लेते हैं। वो अपने सूंघने की शक्ति के प्रयोग से मुआयना कर लेते हैं और फिर उस इलाके को तबाह कर देते हैं जहां उनके साथी या बच्चे पकड़े गए हैं या मारे गए हैं। काफी हद तक भेड़िए का स्वभाव मनुष्यों के स्वभाव से मिलता जुलता है। यही वजह है कि भेड़िया आजाद रहना ही पसंद करता है। अगर कोई भेड़िए को पकड़ भी ले तो उसे वो पालतू नहीं बना पाएगा क्योंकि भेड़िया पकड़े जाने के बाद अपना भोजन छोड़ देता है। वो मर जाएगा लेकिन अपनी आजादी से समझौता करना नहीं पसंद करता।
भेड़िए को कभी सर्कस में देखा क्या? नहीं ऐसा इसलिए क्योंकि वो कभी पालतू नहीं बन सकता है। Photo - Pixabay
हमने दुनिया के हर देशों के सर्कस के बारे में सुना होगा लेकिन क्या हमने दुनिया के किसी भी सर्कस में भेड़िए की उपस्थिति देखी क्या? नहीं ऐसा इसी वजह से है कि भेड़िए को गुलामी नहीं पसंद है। हमने सर्कस में जंगल के राजा शेर से लेकर हाथी, चीता, बाघ, भालू और खरगोश सहित लगभग सभी जानवर इंसानों के इशारों पर नाचते हुए देखा जा सकता है लेकिन भेड़िए को हमने आज तक सर्कस में नहीं देखा है। अगर हम किसी भेड़िए के बच्चे को पकड़कर उसे सिखाने की कोशिश भी करें तो भेड़िए झुंड में आकर उस इलाके को तबाह कर देते हैं। वो किसी भी कीमत पर अपने बच्चों को ऐसे लोगों से छुड़ाकर ले जाते हैं चाहे इसके लिए उन्हें अपनी जान ही क्यों न गंवानी पड़े। बहराइच में हो रहे भेड़िए के हमलों पर एक्सपर्ट्स यही कहते हैं कि भेड़िए के बच्चे किसी रोड एक्सीडेंट में मारे गए हैं और इसी वजह से भेड़ियों के झुंड ने पूरे इलाके को निशाना बना रखा है।
तुर्की के लोग अपने बच्चों को शेर की बजाए भेड़िए की तशरीह देना ज्यादा पसंद करते हैं। PHOTO- Pixabay
तुर्की के लोग अपनी औलादों को शेर की बजाए भेड़िए की तशरीह देते हैं। तुर्की के लोगों का मानना है कि शेर की तरह खूंखार होने से बेहतर है भेड़िए की तरह से नस्लीय बनना ज्यादा बेहतर है। यही वजह है कि भेड़िए कभी किसी के गुलाम नहीं बन सकते हैं। भेड़िए के स्वभाव इंसानों से काफी मेल खाते हैं। भेड़िए इंसानों, बाघ और शेर के अलावा किसी अन्य जानवर से बिलकुल भी नहीं डरते हैं। ऐसा इसलिए कि वो हमेशा एकता में और झुंड के साथ रहते हैं। कभी-कभी तो ये बाघों और शेरों के मुंह से भी शिकार छीन लाते हैं।
भेड़िए चुनते हैं जीवनभर के लिए एक ही साथी, फोटो - Pixabay
भेड़िए के बारे में और पढ़ने पर पता चला कि भेड़िया और जानवरों की तुलना में बिलकुल अलग होता है। भेड़िए का रहन सहन कुछ-कुछ इंसानों से मिलता जुलता है। जैसे इंसान अपनी मां और बहन को कभी काम वासना की नजरों से नहीं देखते हैं वैसे ही भेड़िए भी अपनी बहन या मां के साथ सेक्सुअल रिलेशनशिप नहीं बनाते हैं। वो अपना एक जीवनसाथी चुनते हैं और पूरी उम्र उसी के साथ बिताते हैं। ये अपने साथी के प्रति पूरी तरह से वफादार होते हैं और एक साथी चुनने के बाद बार-बार किसी और मादा के साथ सहवास के लिए नहीं जाते हैं।
पब्लिश्ड 14 September 2024 at 19:54 IST