अपडेटेड 24 February 2025 at 12:13 IST
बॉलीवुड की इन बड़ी फिल्मों में गूंजा भागीरथ भट्ट का सितार, हॉलीवुड में भी बिखेरा धुनों का जादू
संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' हो या हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 'लवयापा' (Loveyapa), उनकी सितार की धुनों ने दृश्यों को और भी अधिक प्रभावशाली बनाया है।
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भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आधुनिक सिनेमा और वैश्विक मंचों पर पहुंचाने वाले कलाकारों में भगीरथ भट्ट का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। अपने सितार की जादुई धुनों से उन्होंने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक अपनी पहचान बनाई है। उनकी मधुर और भावनात्मक धुनें न केवल भारतीय दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संगीत प्रेमियों को आकर्षित कर रही हैं।
भगीरथ भट्ट ने अपने करियर में कई प्रतिष्ठित फिल्मों में अपनी संगीत प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' हो या हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 'लवयापा' (Loveyapa), उनकी सितार की धुनों ने दृश्यों को और भी अधिक प्रभावशाली बनाया है। 'लवयापा' में उनके सुरों ने फिल्म की भावनात्मक गहराई को बढ़ाया, खासकर उस दृश्य में जिसमें अभिनेता आशुतोष राणा ने सितार बजाया। पर्दे पर यह दृश्य जितना खूबसूरत दिखता है, उसके पीछे की असली कला भगीरथ भट्ट की है। इसके अलावा, उन्होंने 'हीरामंडी', 'भूल भुलैया 3', 'मलाल', और 'मिशन रानीगंज' जैसी बड़ी फिल्मों में भी अपने सितार की धुनों से संगीत जगत को समृद्ध किया है। उनके सुरों में शास्त्रीयता और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जिसे बॉलीवुड के कई शीर्ष संगीतकारों ने सराहा है।
हॉलीवुड तक गूंजे भगीरथ के सुर
भगीरथ भट्ट की प्रतिभा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने हॉलीवुड में भी अपनी धुनों का जादू बिखेरा है। उन्होंने 'Avatar: The Last Airbender' और 'The American Gandhi' जैसी अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में सितार का योगदान दिया है। वेब सीरीज की दुनिया में भी उन्होंने 'कोटा फैक्ट्री', 'गुल्लक', और 'बैंडिट्स बैंडिट्स' जैसे शो में अपनी मधुर संगीत रचनाओं का योगदान दिया है।
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संस्कारों से सीखा संगीत, सुरों से पाई शोहरत
भगीरथ भट्ट का जन्म 31 मई 1991 को जामनगर, गुजरात में हुआ। उनके पिता श्री पंकजकुमार दिनेशचंद्र भट्ट एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं जो पूज्य मुरारी बापू की कथा मे तबला और गायिकी की सेवाएं दे रहे है, और भगीरथ की संगीत यात्रा की शुरुआत भी परिवार से ही हुई। उनके दादा और पूर्वज भी संगीत और आध्यात्मिक कथा वाचन में निपुण थे, जिससे भगीरथ का झुकाव बचपन से ही संगीत की ओर हुआ। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने The Maharaja Sayajirao University of Baroda से संगीत में उच्च शिक्षा प्राप्त की और गोल्ड मेडलिस्ट रहे। उन्होंने उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खान, उस्ताद शाहिद परवेज, और उस्ताद असद खान जैसे दिग्गज संगीतकारों से प्रशिक्षण लिया।
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वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व
भगीरथ भट्ट ने अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, रूस, ओमान, दुबई और श्रीलंका जैसे देशों में भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रदर्शन किया है। वे 'ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल', 'सप्तक फेस्टिवल', 'सनबर्न', 'रन उत्सव', 'G20 समिट' और 'वाइब्रेंट गुजरात' जैसे बड़े आयोजनों का हिस्सा भी रहे हैं। भारतीय विद्या भवन, लंदन में भी वे अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। भगीरथ भट्ट की प्रतिभा को विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 'महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार' से नवाजा गया है और उनकी उत्कृष्ट संगीत साधना को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 24 February 2025 at 12:13 IST