अपडेटेड 23 March 2023 at 12:02 IST

जेल में लिखी Bhagat Singh की दुर्लभ चिट्ठी, शहीद ने पिता से मिलने के लिए क्या लिखा था?

Bhagat Singh Last Letter: महज 23 साल की उम्र में देश के लिए सूली पर चढ़ जाने वाले भगत सिंह की वीरगाथा कई मौकों पर अब लोगों को भावुक कर देती है। आइए जानते है भगत सिंह का वो आखिरी पत्र।

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Bhagat Singh Last Letter To His Father:  स्वतंत्रता सेनानियों Bhagat Singh, Rajguru और Sukhdev का नाम सुनते ही क्रांति, देशभक्ति और देश को ब्रिटिश शासन के उसे काले दौर से आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाला चेहरा सभी भारतीयों के सामने आ जाता है। भारत को विदेशी ताकतों से आजादी दिलाने के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों (freedom fighters) ने कुर्बानियां दी, सबके आज भी कर्जदार हैं, लेकिन कुछ ऐसे क्रातिंकारी थे जो हमेशा के लिए सभी के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ गए। महज 23 साल की उम्र में देश के लिए सूली पर चढ़ जाने वाले भगत सिंह की वीरगाथा कई मौकों पर अब लोगों को भावुक कर देती है।

भगत सिंह का देश पर जान लूटाने जज्बा ही कुछ अलग था। अंग्रेजों के बर्बर शासन को जड़ से उखाड़ने के लिए 'टूट जाऊंगा पर झुकूंगा नहीं' जैसे सिंद्धातों को अपना हथियार बनाया। लेकिन युवा उम्र में देश के लिए कुर्बनी देने के जज्बे के साथ वो अपने परिवार को लेकर काफी भावुक थे। राष्ट्रप्रेम को ही अपना धर्म मनाने वाले भगत के दिल में कहीं ना कहीं परिवार के लिए कुछ ज्यादा ना करने का मलाल रहा। लेकिन वो इस बात को लेकर काफी क्लियर रहे कि उनके निजी जिंदगी के फैसलों में परिवार या किसी अन्य सदस्य का दखल ना रहे। कुछ इस तरह की झलक उनके कथित तौर पर  अपने पिता को लिख खत में दिखाई देती है जहां भगत ने उनकी मर्जी के खिलाफ पिता के द्वारा दी गई अर्जी पर दिखाई देता है।

देखें भगत सिंह का पिता को लिखा वो 'आखिरी खत'

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर, पाकिस्तान (तत्कालीन हिन्दुस्तान) में हुआ था, भगत सिंह जाहल विचारक थे, इसलिए उन्होंने कभी सरकारी शिक्षा या नौकरी स्वीकार नहीं की। बता दें कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आज ही के दिन 1931 में लाहौर जेल में फांसी दी गई थी। इस दिन 23 मार्च को देश भर में उनके बलिदान को याद करने के लिए 'शहीद दिवस' के रूप में मनाया जाता है। देश की आजादी के लिए अनेक भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव का नाम प्रमुख है।

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भगतसिंह ने ब्रिटिश सरकार के 'पब्लिक सेफ्टी बिल एंड ट्रेड डिस्ट्रीब्यूशन बिल' के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट किया था। उस वक्त उन्होंने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया था। लाला लाजपतराय की हत्या का बदला लेने के लिए उसने अंग्रेज अधिकारी सांडर्स को गोली मार दी। बाद में इस मामले के आरोप में भगतसिंह पर मुकदमा चलाया गया। इस मामले में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मौत की सजा सुनाई गई थी। इसे वर्ष 1931 में लागू किया गया था। 23 मार्च, 1931 को शाम 7:33 बजे उन्हें फांसी दे दी गई। इस दिन को देश में शहीद दिवस के रूप में माना जाता है।

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Published By : Priya Gandhi

पब्लिश्ड 23 March 2023 at 12:02 IST