अपडेटेड 7 June 2024 at 16:55 IST

बैंकों को अपनी कारोबारी रणनीति को नए सिरे से बनाने की जरूरत: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकों को ऋण और जमा वृद्धि के बीच लगातार बने अंतर का पाटने के लिए अपनी रणनीति में नए सिरे से बदलाव करने की जरूरत है।

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rbi governor shaktikanta das
rbi governor shaktikanta das | Image: PTI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों को ऋण और जमा वृद्धि के बीच लगातार बने अंतर का पाटने के लिए अपनी रणनीति में नए सिरे से बदलाव करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो बिना गारंटी वाले कर्ज में वृद्धि को कम करने के लिए आगे भी कदम उठाए जा सकते हैं। आरबीआई ने पिछले वर्ष नवंबर में बिना गारंटी वाले खुदरा ऋणों में अत्यधिक वृद्धि तथा बैंक वित्तपोषण पर एनबीएफसी की अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंता जताई थी।

दास ने द्विमासिक नीति की घोषणा करते हुए कहा, 'हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि इन ऋण तथा अग्रिम में कुछ कमी आई है। हम आने वाले आंकड़ों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि भविष्य में और उपाय आवश्यक हैं या नहीं।' उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'संदेश यह है कि आरबीआई वित्तीय क्षेत्र, विशेषकर बैंकिंग क्षेत्र के हर पहलू पर नजर रख रहा है। हम सतर्क हैं और जब भी कुछ और उपायों की आवश्यकता होगी, हम कदम उठाएंगे।'

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केंद्रीय बैंक ने इन क्षेत्रों में किसी भी संभावित जोखिम उत्पन्न होने से रोकने के लिए 16 नवंबर, 2023 को असुरक्षित उपभोक्ता ऋण व एनबीएफसी को बैंक ऋण पर जोखिम भार बढ़ा दिया था। परिणामस्वरूप ‘क्रेडिट कार्ड बकाया’ जैसे असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों में ऋण वृद्धि नवंबर, 2023 में 34.2 प्रतिशत से घटकर अप्रैल, 2024 में 23 प्रतिशत हो गई, जबकि एनबीएफसी को बैंक ऋण वृद्धि नवंबर, 2023 में 18.5 प्रतिशत से घटकर अप्रैल, 2024 में 14.4 प्रतिशत हो गई। दास ने कहा कि विनियमित संस्थाओं के बोर्ड और शीर्ष प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक व्यवसाय के लिए जोखिम निर्धारित सीमा के भीतर ही रखे जाएं।

Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 7 June 2024 at 16:55 IST