Published 09:53 IST, September 8th 2024
बांग्लादेश शांत हुआ नहीं, उठने लगी एक और मांग... इस बार भारत का भी जिक्र; यूनुस सरकार का पक्ष क्या?
बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाह अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग उठाई है।
Bangladesh National Anthem: बांग्लादेश में हालात तेजी से बदले तो पूरा मुल्क हिंसा की आग में झोंक दिया गया। इस घटनाक्रम में शेख हसीना की सरकार भी चली गई। एक बार फिर बांग्लादेश में नई मांग ने जोर पकड़ लिया है। इसकी बात भारत तक पहुंची है। जमात-ए-इस्लामी कह रहा है कि बांग्लादेश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव होना चाहिए, क्योंकि 1971 में भारत की ओर से थोपा गया था।
बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाह अमान आजमी ने देश के राष्ट्रगान और संविधान में बदलाव की मांग उठाई है। उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रगान का मामला इस सरकार पर छोड़ता हूं। हमारा मौजूदा राष्ट्रगान हमारे स्वतंत्र बांग्लादेश के अस्तित्व के विपरीत है। ये बंगाल विभाजन और दो बंगालों के विलय के समय को दर्शाता है। दो बंगालों को एकजुट करने के लिए बनाया गया राष्ट्रगान एक स्वतंत्र बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है? ये राष्ट्रगान 1971 में भारत ने हम पर थोपा था। कई गीत राष्ट्रगान के तौर पर काम आ सकते हैं। सरकार को एक नया आयोग बनाना चाहिए जो एक नया राष्ट्रगान चुने।'
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का आया जवाब
हालांकि जमात की इस मांग पर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी जवाब दे दिया है। बांग्लादेश के धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने कहा कि देश के राष्ट्रगान को बदलने की कोई योजना नहीं है। राजशाही में इस्लामिक फाउंडेशन का दौरा करने और गणमान्य व्यक्तियों की एक सभा में भाग लेने के बाद हुसैन ने मीडिया से कहा, 'अंतरिम सरकार विवाद पैदा करने के लिए कुछ भी नहीं करेगी।' हुसैन ने कहा कि पड़ोसी देश होने के नाते बांग्लादेश भारत के साथ दोस्ताना संबंध चाहता है।
धार्मिक मामलों के सलाहकार खालिद हुसैन ने कहा कि स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ मदरसे के छात्र भी दुर्गा पूजा के दौरान किसी भी हमले या तोड़फोड़ से मंदिरों की सुरक्षा करेंगे।
Updated 09:53 IST, September 8th 2024