अपडेटेड 2 December 2024 at 18:02 IST

Badlapur Rape Case: मौत की जांच को 'हल्के' में लेने पर अदालत ने CID ​​को फटकार लगाई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदलापुर के स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की मुठभेड़ में मौत की जांच को हल्के में लेने के लिए CID को कड़ी फटकार लगाई।

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Bombay High Court
Bombay High Court | Image: PTI (Representational Image)

Badlapur Rape Case: बंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की मुठभेड़ में मौत की जांच को "हल्के" में लेने के लिए राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को सोमवार को कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने सभी मामलों की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा मामले में सीआईडी ​​का आचरण संदेह पैदा करता है और गलत संकेत देता है कि वह मुठभेड़ की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को सभी जानकारी मुहैया नहीं कराना चाहती है।

अक्षय शिंदे (24) को अगस्त में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के बदलापुर इलाके के एक स्कूल में दो बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 24 सितंबर को पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मार गिराया था। खंडपीठ ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि सीआईडी ​​की योग्यता के कारण मामले स्थानीय पुलिस से सीआईडी ​​को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। उच्च न्यायालय ने आरोपी की मौत की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को सौंपे गए दस्तावेजों और मामले की जांच में कुछ खामियों पर नाखुशी जाहिर की। उसने कहा, "राज्य की सीआईडी ​​इसे इतने हल्के में कैसे ले सकती है? यह हिरासत में मौत से जुड़ा मामला है। आपसे (सीआईडी) क्या उम्मीद थी और अब आपसे क्या उम्मीद करें।"

CID ​​का आचरण जांच पर संदेह पैदा करता है- कोर्ट

खंडपीठ ने कहा कि सीआईडी ​​का आचरण जांच पर संदेह पैदा करता है और एक "गलत और प्रतिकूल" निष्कर्ष निकलकर आता है। उसने कहा, "अपने आचरण के कारण ही आप खुद पर संदेह और संशय पैदा कर रहे हैं। आप कैसी जांच कर रहे हैं?" खंडपीठ ने पूछा कि मामले से जुड़े चिकित्सकीय कागजात क्यों नहीं एकत्रित किए गए। उसने कहा, "सीआईडी ​​ठीक से जानकारी क्यों एकत्र नहीं कर रही है और हम क्यों उससे सवाल करने के लिए मजबूर हैं? हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। चिकित्सकीय कागजात एकत्र नहीं किए गए हैं। क्या आप जानबूझकर मजिस्ट्रेट से जानकारी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं? हम यही निष्कर्ष निकाल रहे हैं।"

खंडपीठ ने कहा, "सीआईडी ​​की योग्यता के कारण मामले राज्य सीआईडी ​​को स्थानांतरित कर दिए जाते हैं।" उच्च न्यायालय ने कहा कि उसका प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि सभी दस्तावेज एकत्र कर उचित जांच के लिए मजिस्ट्रेट को उपलब्ध कराए जाएं और एक रिपोर्ट सौंपी जाए। खंडपीठ ने कहा, "मामले की ठीक से जांच करें और सभी बयान सही तरीके से मजिस्ट्रेट के सामने पेश करें, तभी मजिस्ट्रेट उचित रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं।" उच्च न्यायालय ने कहा कि हर जांच में बड़े पैमाने पर निष्पक्षता होनी चाहिए और यहां तक ​​कि एक आरोपी और उसके परिवार के भी अपने अधिकार हैं।

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अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी 2025 को

खंडपीठ को सूचित किया गया कि सभी दस्तावेज और जानकारी मजिस्ट्रेट को उपलब्ध करा दी गई है और जो भी दस्तावेज बचे हैं, उन्हें एक हफ्ते के भीतर सौंप दिया जाएगा। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी 2025 की तारीख तय की। इस अवधि में मजिस्ट्रेट को अदालत में रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था आरोपी अक्षय शिंदे

पुलिस के मुताबिक, आरोपी अक्षय शिंदे ने 24 सितंबर को पुलिस वैन में एक पुलिसकर्मी से उस समय पिस्तौल छीन ली, जब उसे एक अन्य मामले में पूछताछ के लिए नवी मुंबई की तलोजा जेल से ठाणे ले जाया जा रहा था। इसके बाद शिंदे ने वैन के अंदर तीन गोलियां चलाईं, जिनमें से एक गोली एक पुलिस अधिकारी को लगी और वह घायल हो गया। जवाबी कार्रवाई में एक अन्य पुलिस अधिकारी ने गोली चलाई, जो शिंदे को लगी और वह मारा गया। पुलिस ने दावा किया कि शिंदे ने पानी मांगा था, इसलिए उसकी हथकड़ी हटा दी गई। उसे वैन के अंदर बोतल से पानी दिया गया था।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 2 December 2024 at 18:02 IST