अपडेटेड 15 October 2024 at 16:21 IST
मस्तान, लाला, इब्राहिम और फिर 20 सालों की खामोशी...दिल्ली से डॉन की गद्दी चाह रहा लॉरेंस बिश्नोई
मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नाम सुर्खियों में है।
- भारत
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Baba siddique: मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नाम सुर्खियों में है। बताया जा रहा है लॉरेंस बिश्नोई का ये कांड सलमान खान को सीधा मैसेज है क्योंकि बाबा सिद्दीकी को उनका करीबी दोस्त माना जाता था। सलमान खान लॉरेंस के टारगेट पर पिछले 6 सालों से हैं। पिछले कुछ महीनों में जिस तरह लॉरेंस बिश्नोई में जेल में बैठे-बैठे सुपारी देकर हत्याएं करावाई हैं उससे उसके गैंग की तुलना D कंपनी से होने लगी है।
एनआईए ने भी स्वीकार किया है कि लॉरेंस बिश्नोई दाऊद इब्राहिम बनने की राह पर है उसने उसने अपने गैंग को डी कंपनी की तरह खड़ा कर लिया है। पिछले 20 सालों की खामोशी के बाद मुंबई में लॉरेंस बिश्नोई गैंग की एंट्री ने सरकार से लेकर प्रशासन तक की टेंशन बढ़ा दी है। एक समय था जब मुंबई में हाजी मस्तान की तूती बोलती थी। उसे मुंबई के अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन कहा जाता है।
हाजी मस्तान, करीम लाल और दाऊद के बाद अब बिश्नोई
1950 से लेकर 1970 तक का साल, हाजी मस्तान से नजरें मिलाने की हिमाकत कोई नहीं कर सकता था। दाऊद और पठान गैंग को एक करने वाला हाजी मस्तान नामी माफिया वर्धा को भी अपने इशारों पर नचाता था। बॉलीवुड के उस समय के दिग्गज अभिनेता संजीव कुमार तथा दिलीप कुमार तक बॉलीवुड के सभी दिग्गजों के साथ हाजी मस्तान की मुलाकात होती थी। तमिलनाडु का रहने वाला हाजी मस्तान 8 साल की उम्र में 1934 में मुंबई पहुंचा था।
हाजी मस्तान के बाद करीम लाला गैंग ने अंडरवर्ल्ड की जड़ें जमाईं। दाऊद इब्राहिम जैसे डॉन भी हाजी मस्तान गैंग से ही निकलकर आए और मुंबई में दहशत फैलाई। अब लॉरेंस बिश्नोई गैंग की एंट्री ने मुंबई की शांति में खलल डाल दिया है।
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अफगान का पठान करीम लाला
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। ये अफगान पठान था जो भारत आया और मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एंट्री की। करीब 30 साल तक अंडरवर्ल्ड पर राज किया। अंडरवर्ल्ड की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का नाम सबसे बड़ा था। वो पहले करीम लाला के गिरोह में शामिल हुआ। लेकिन कुछ समय बाद ही अपना अलग नेटवर्क बना लिया। 1980 के दशक में उसका गैंग सक्रिय हो गया, जिसे 'डी कंपनी' के नाम से जाना गया।
1993 में मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इस ब्लास्ट में दाऊद का नाम आया तो वो मुंबई छोड़कर दुबई भाग गया। धीरे-धीरे मुंबई से दाऊद की पकड़ कमजोर पड़ती गई। उसके गुर्गे मुंबई छोड़कर भागने लगे और मायानगरी शांत रहने लगी। इस बीच दिल्ली के आसपास गैंगस्टर सक्रिय होने लगे।
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इनमें सूरजभान उर्फ 'ठकुरिया', कुलदीप फज्जा, लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया, संदीप उर्फ 'काला जठेड़ी', अशोक प्रधान, मनोज बाबा, सुशांत गुर्जर, अनिल दुजाना, सुनील राठी और आनंदपाल सिंह जैसे गैंगस्टरों का नाम प्रमुख है। इन्होंने पूरे उत्तर भारत में आतंक कायम कर दिया। मुंबई अभी भी शांत थो लेकिन अब करीब 20 साल बाद मुंबई कांपने लगी है। बाबा सिद्दीकी की हत्या करके बिश्नोई गैंग ने जिस तरह की दहशत कायम की है, वैसी ही दहशत 80-90 के दशक में अंडरवर्ल्ड गैंग ने कायम की थी।
भारत के सबसे कुख्यात गैंगस्टर्स में लॉरेस का नाम
मौजूदा समय में पूरे भारत में लॉरेंस बिश्नोई का नाम सबसे कुख्यात है। जेल में बैठा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अपने पूरे गैंग को ऑपरेट कर रहा है। इस वक्त बिश्नोई गैंग के लिए 1000 से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं। लॉरेंस बिश्नोई ने अपना नेटवर्क इस तरह से बनाया है कि वो जेल के अंदर रहे या बाहर, उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। वो फेसबुक के जरिए शूटर्स से संपर्क करता है और किसी भी कीलिंग को आसानी से अंजाम दे देता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 15 October 2024 at 16:19 IST