अपडेटेड 21 April 2024 at 12:27 IST

योग शिविर चलाने को लेकर बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, अब देना होगा सर्विस टैक्स

योग गुरु बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, योग शिविर चलाने के लिए अब उन्हें सर्विस टैक्स देना होगा।

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Supreme Court and Baba Ramdev
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई पतंजलि को फटकार बाबा रामदेव | Image: X @KhandekarOmkar and PTI

(अखिलेश राय)

बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। योग गुरु बाबा रामदेव को योग शिविर चलाने के लिए सर्विस टैक्स देना होगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 19 अप्रैल को  अपीलीय ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है।  कोर्ट ने अपीलीय ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा। इसमें पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को आवासीय और गैर-आवासीय दोनों योग शिविरों के आयोजन के लिए प्रवेश शुल्क लेने के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया था। 

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ट्रिब्यूनल ने सही कहा है कि शुल्क के लिए लगाए गए शिविरों में योग एक सेवा है। हमें उस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। इसलिए अपील
खारिज की जाती है। इसी के साथ अदालत ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय ट्रिब्युनल (CESTAT) की इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

दरअसल, CESTAT ने माना था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर, जो भागीदारी के लिए शुल्क लेता है, ये "स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा" की श्रेणी में आता है और इस पर सेवा कर लगता है। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि ट्रस्ट विभिन्न आवासीय और गैर-आवासीय शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने में लगा हुआ है, जिसके लिए प्रतिभागियों से दान के माध्यम से शुल्क एकत्र किया गया था। हालांकि, यह राशि दान के रूप में एकत्र की गई थी, लेकिन यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए शुल्क है।

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स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा के तहत इलाज के लिए टैक्स योग्य नहीं

सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने जुर्माना और ब्याज समेत अक्टूबर 2006 से मार्च 2011 तक लगभग 4.5 करोड़ रुपये की मांग की थी। ट्रस्ट ने दलील दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है और यह "स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा" के तहत कर योग्य नहीं है। लेकिन ट्रिब्युनल ने कहा कि ट्रस्ट का यह दावा कि वे व्यक्ति को होने वाली विशिष्ट बीमारियों के लिए उपचार प्रदान कर रहे हैं, लेकिन इस तथ्य में सकारात्मक सबूत नहीं है। इन शिविरों में 'योग' और 'ध्यान' की शिक्षा किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरी सभा को एक साथ दी जाती है। किसी भी व्यक्ति की विशिष्ट बीमारी/शिकायत के लिखित, निदान और उपचार के लिए कोई नुस्खे नहीं बनाए जाते हैं। ट्रस्ट ने प्रवेश शुल्क को दान के रूप में  एकत्र किया था। उन्होंने विभिन्न मूल्यवर्ग के प्रवेश टिकट जारी किए।

टिकट धारक को टिकट के मूल्य के आधार पर अलग-अलग विशेषाधिकार दिए गए थे। पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा आयोजित योग शिविर- जो शुल्क लेता है- "स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा" की श्रेणी में आता है और इस पर सेवा कर लगता है।

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Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 21 April 2024 at 12:27 IST