अपडेटेड 14 August 2024 at 15:14 IST
रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज को अमेरिका ने क्यों नहीं दिया वीजा? चिंता में परिवार
मूर्तिकार अरुण योगीराज वर्जीनिया में आयोजित 12वें AKKA विश्व कन्नड़ सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले थे। हालांकि अमेरिका ने वीजा से इनकार कर दिया है।
- भारत
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Arun Yogiraj US visa: अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज को अमेरिका ने वीजा से इनकार कर दिया है। अरुण योगीराज के पारिवारिक सूत्रों ने रिपब्लिक कन्नड़ को इसकी पुष्टि की है। योगीराज 30 अगस्त से 1 सितंबर 2024 तक रिचमंड, वर्जीनिया में ग्रेटर रिचमंड कन्वेंशन सेंटर में होने वाले 12वें AKKA विश्व कन्नड़ सम्मेलन (WKC 2024) में हिस्सा लेने वाले थे। हालांकि अमेरिका ने वीजा से इनकार कर दिया है, जिस पर परिवार के लोगों ने नाराजगी जताई है। परिवार के लोगों का कहना है कि यह उनकी अंतरराष्ट्रीय मान्यता और हाल ही में वैश्विक प्रदर्शन के बावजूद हुआ है।
मूर्तिकार अरुण योगीराज के परिजनों का कहना है कि उनकी पत्नी पहले भी अमेरिका की यात्रा कर चुकी हैं, जिससे इनकार करना अप्रत्याशित है, क्योंकि सभी व्यवस्थाएं पहले से ही मौजूद थीं। उनका एकमात्र उद्देश्य कार्यक्रम में शामिल होना और तुरंत वापस लौटना था। परिजनों का कहना है कि अरुण योगीराज इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, क्योंकि ये अयोध्या के कार्यक्रम को पूरा करने के बाद ये उनकी पहली छुट्टी होती।
रिपब्लिक कन्नड़ ने योगीराज को दिया गया आमंत्रण प्राप्त किया
रिपब्लिक कन्नड़ के पास वैश्विक कन्नड़ कार्यक्रम के लिए अरुण योगीराज को मिला आमंत्रण भी मौजूद है, जिसमें समुदाय में उनके योगदान को मान्यता दी गई है। हालांकि सम्मान के बावजूद अरुण योगीराज को अप्रत्याशित बाधा का सामना करना पड़ा, क्योंकि अमेरिका ने उनका वीजा अस्वीकार कर दिया।
अरुण योगीराज कौन हैं?
कर्नाटक के मैसूर के अग्रहारा से ताल्लुक रखने वाले अरुण योगीराज एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। 15 जुलाई 1983 को जन्मे अरुण योगीराज को सबसे बड़ी पहचान रामलला की मूर्ति से मिली। उनका एक मूर्तिकार होना उनके परिवार में 5 पीढ़ियों से चली आ रही एक विरासत है। बताया जाता है कि अरुण योगीराज के दादा राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता थे और उन्हें 1983 में भारत के राष्ट्रपति ने सम्मानित किया था। इसी तरह उनके पिता अपनी कला और मूर्तिकला के लिए राज्य पुरस्कार विजेता थे।
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विरासत के बावजूद अरुण ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल की और एक निजी कंपनी के लिए काम किया। हालांकि 2008 में उन्होंने खुद को पूरी तरह से मूर्तिकला के लिए समर्पित करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। अरुण अपने महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के पीछे स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति शामिल है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से समर्थित एक परियोजना है।
उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति भी बनाई, जिसका उद्घाटन 2021 में हुआ। उन्होंने कई अन्य उल्लेखनीय मूर्तियां बनाई हैं, जिनमें केआर नगर, मैसूर में 21 फीट का हनुमान और डॉ बीआर अंबेडकर की 15 फीट की मूर्ति, श्री रामकृष्ण परमहंस की 10 फीट ऊंची प्रतिमा, महाराजा जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 15 फीट ऊंची प्रतिमा और सर एम विश्वेश्वरैया प्रतिमाएं शामिल हैं। अरुण ने इसरो में श्री यूआर राव की कांस्य प्रतिमा के साथ-साथ गरुड़ और योगनरसिंह स्वामी की मूर्तियां भी बनाईं।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 14 August 2024 at 15:07 IST