अपडेटेड 19 December 2025 at 17:22 IST

Aravalli Hills: त्रेता-द्वापर या उससे भी पुरानी है अरावली पर्वतमाला? क्यों कही जाती है राजस्थान की लाइफलाइन, क्या है संकट? हर सवाल का जवाब

Aravalli Hills:अरावली पर्वतमाला न केवल भारत की, बल्कि विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रेणियों में से एक है। इतना ही नहीं, यह त्रेता या द्वापर युग से भी कहीं अधिक पुरानी है। आज राजस्थान की लाइफलाइन कही जाने वाली अरावली पर्वत पर खतरा मंडरा रहा है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Follow : Google News Icon  
Aravalli Hills
Aravalli Hills | Image: Freepik

Aravalli Hills: भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित अरावली पर्वतमाला केवल पत्थर और चट्टानों का ढेर नहीं है, बल्कि यह करोड़ों वर्षों के इतिहास और इकोलॉजी का एक उदाहरण पेश करता है। जब हम इसके अस्तित्व की बात करते हैं, तो यह प्रश्न अक्सर उठता है कि क्या यह त्रेता या द्वापर युग जितनी पुरानी है? इसका उत्तर पौराणिक कथाओं से कहीं अधिक गहरा और वैज्ञानिक है। आपको बता दें, आज इसी अरावली पर्वतमाला पर खतरा मंडरा रहा है।

त्रेता-द्वापर से भी पुरानी है अरावली?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अरावली पर्वतमाला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, अरावली का निर्माण 'प्री-कैम्ब्रियन' काल में हुआ था, जो लगभग 350 से 570 करोड़ वर्ष पुराना है। हिमालय जिसे हम युवा पर्वत कहते हैं। यह केवल 5 करोड़ साल पुराना है। यदि हम इसे हिंदू पुराणों में देखें जैसे कि सतयुग, त्रेता, द्वापर में तो अरावली का अस्तित्व उन सभी युगों से कहीं पहले का है। यह उस समय से खड़ी है जब पृथ्वी पर जीवन अपने प्रारंभिक स्वरूप में था।

ये भी पढ़ें - IND vs SRI U19 Asia Cup: भारतीय गेंदबाजों का कहर, ताबड़तोड़ विकेट लेकर तोड़ी श्रीलंका की कमर, ODI सेमीफाइनल में मिल रहा T20 का रोमांच

अरावली को राजस्थान की लाइफलाइन क्यों कहते हैं?

अरावली को राजस्थान की जीवनरेखा कहा जाता है, और इसके पीछे ठोस कारण है। अरावली एक प्राकृतिक दीवार की तरह काम करती है। जो थार मरुस्थल की रेतीली आंधियों को पूर्व की ओर यानी कि दिल्ली और उत्तरप्रदेश में बढ़ने से रोकती है।

Advertisement

वहीं मानसून के आधार पर देखा जाए तो यह राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में वर्षा कराने में सहायक है। यह बादलों को रोककर बारिश को सही लेवल में होने में मदद करती है। इतना ही नहीं, बनास, लूनी, साबरमती और साहिबी जैसी कई महत्वपूर्ण नदियां अरावली की गोद से ही निकलती हैं। खनीज की बात करें तो अरावली को खनिज का भंडार कहा जाता है। यहां तांबा, जस्ता, सीसा और संगमरमर जैसे खास खनिज पाए जाते हैं।

अरावली पर्वत माला को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय राजस्थान की भौगोलिक और पर्यावरणीय स्थिति के लिए एक बड़ी चेतावनी बनकर उभरा है। अरावली पर्वतमाला, जिसे राजस्थान की 'लाइफ लाइन' कहा जाता है, आज अपने अस्तित्व के सबसे गंभीर संकट से गुजर रही है। पर्यावरण मंत्रालय की एक चिंताजनक रिपोर्ट के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने नीलगिरी पर्वत मामले के संदर्भ में अरावली की स्थिति पर टिप्पणी की है। अरावली पर्वतमाला का क्षेत्र अवैध खनन के कारण लगातार सिकुड़ता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अरावली का लगभग 90% हिस्सा अब 100 मीटर से भी कम की ऊंचाई का रह गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले भूभाग को अब 'पहाड़ी' की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा।

Advertisement

अरावली पर्वतमाला के भूभाग घटने से क्या नुकसान होंगे

  • अरावली पर्वतमाला समाप्त होने से प्रदेश में मरुस्थल बढ़ेगा।
  • प्रदेश में गर्म हवाओं का असर बढ़ता जाएगा।
  • प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से आने वाले मानसून से बारिश नहीं होगी।
  • प्रदेश में भूकंप के झटके आने के आसार बढ़ेंगे।
  • अरावली से निकलने वाली नदियां समाप्त हो सकती है।
  • कृषि क्षेत्र पर बुरा असर पड़ेगा।

Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 19 December 2025 at 17:11 IST