अपडेटेड 21 May 2025 at 07:23 IST

अमृतसर: अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी फिर शुरू, लेकिन इस बार न खुले गेट, न मिलाया हाथ

अटारी-वाघा बॉर्डर पर 12 दिनों के बाद फिर से बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी शुरू हो गई है, लेकिन इस बार सुरक्षा के मद्देनजर इसमें कई बदलाव किए गए हैं।

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Beating Retreat ceremony started
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी | Image: @Skurmii

अटारी-वाघा बॉर्डर पर 12 दिनों के बाद फिर से बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी शुरू हो गई है, लेकिन इस बार सुरक्षा के मद्देनजर इसमें कई बदलाव किए गए हैं। समारोह आज से सिर्फ मीडिया के लिए आयोजित किया गया, जबकि आम जनता को शामिल होने की अनुमति नहीं थी।

ध्वज उतारने की इस पारंपरिक ड्रिल में इस बार भारत और पाकिस्तान के जवानों के बीच न कोई हाथ मिलाया गया और न ही सीमा के गेट खोले गए। पहले यह सेरेमनी दोनों देशों के बीच सांकेतिक दोस्ती और अनुशासन का प्रतीक मानी जाती थी, जिसमें सीमा पर मौजूद द्वार खोले जाते थे और सैनिक एक-दूसरे से हाथ मिलाते थे।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीटिंग रिट्रीट बंद किया था

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था। इसके तहत 6 मई को पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस कार्रवाई के एक दिन बाद से ही बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।

BSF ने आठ मई को सुरक्षा कारणों से आम जनता के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। अब नए सुरक्षा नियमों के तहत, रिट्रीट सेरेमनी के दौरान गेट बंद रहेंगे और किसी प्रकार के सांकेतिक सौहार्द जैसे मिठाई या उपहारों का आदान-प्रदान नहीं किया जाएगा।

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सतर्कता के सथा बीटिंग रिट्रीट फिर शुरू 

बीटिंग रिट्रीट भारत-पाक सीमा पर रोजाना शाम को आयोजित होने वाली एक विशेष सैन्य परंपरा है, जो दोनों देशों के झंडे को सम्मानपूर्वक उतारने के साथ संपन्न होती है। अमृतसर के अटारी बॉर्डर के अलावा फिरोजपुर के हुसैनीवाला और फाजिल्का के सादकी में भी यह कार्यक्रम होता है।

यह आयोजन देश की सैन्य शक्ति, अनुशासन और देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है। वर्तमान माहौल को देखते हुए, सुरक्षा बलों ने इसे फिर से शुरू तो किया है, लेकिन बेहद सतर्कता के साथ।

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 21 May 2025 at 07:22 IST