अपडेटेड 17 May 2025 at 15:52 IST
पहलगाम जैसी आतंकी घटना पर लगेगी लगाम... क्या है MAC, कैसे करती है काम, क्या हुआ बदलाव? जिसकी अमित शाह ने ली मीटिंग
इंटेलिजेंस फ्यूजन सेंटर के रूप में Multi Agency Centre साल 2001 से अस्तित्व में है। केंद्रीय गृह मंत्री लगातार MAC के टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन का काम देखते रहे हैं।
- भारत
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Multi Agency Centre: नए दौर में आतंकवाद को लेकर नई चुनौतियां हैं तो देश का गृह मंत्रालय भी अपनी राजनीति को नयापन दे रहा है। आंतरिक सुरक्षा को एक नई दिशा देने की ओर बड़ा कदम उठाते हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद नया मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) स्थापित हुआ है। इसका मकसद है कि ये सेंटर देशभर में फैले आतंकी नेटवर्क, साइबर अपराध, नार्को-टेररिज्म, रेडिकलाइजेशन और सीमा पार से होने वाले खतरों पर लगाम कसने के लिए एक मिलीजुली रणनीति तैयार करेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में नए Multi Agency Centre यानी MAC का उदघाटन किया और फिर मीटिंग ली। शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति, एजेंसियों की सटीक सूचना और हमारी तीनों सशस्त्र सेनाओं की अचूक मारक क्षमता का अद्वितीय प्रतीक है। खैर, अमित शाह की बातों को समझते हुए अगर Multi Agency Centre पर फोकस करें तो इसकी अहमियत और जरूरत को आज के परिदृश्य में समझा जा सकता है।
मल्टी एजेंसी सेंटर की शुरुआत कब हुई?
इंटेलिजेंस फ्यूजन सेंटर के रूप में Multi Agency Centre (MAC) साल 2001 से अस्तित्व में है। केंद्रीय गृह मंत्री लगातार MAC के टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन का काम देखते रहे हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरों में स्थित नए MAC ने इंटेलिजेंस, सिक्योरिटी, लॉ इन्फोर्समेंट और जांच एजेंसियों को आपस में जोड़ने का काम किया है। 500 करोड़ रुपए की लागत से तैयार नए MAC नेटवर्क में क्वालिटेटिव और क्वांटिटेटिव दोनों तरह के बदलाव किए गए हैं। नया MAC नेटवर्क नया MAC नेटवर्क देश के द्वीपीय हिस्से, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों तक फैला है। इसमें स्टैंडअलोन सुरक्षित नेटवर्क के साथ दूरदराज के क्षेत्रों के जिला SP तक लास्ट मील कनेक्टिविटी दी गई है।
मल्टी एजेंसी सेंटर में लगभग दो दर्जन केंद्रीय एजेंसियों को शामिल किया गया है, जो अपने-अपने विशेष क्षेत्रों में जानकारी साझा करेंगी और कॉर्डिनेशन के साथ काम करेगी। मल्टी एजेंसी सेंटर में इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एनालिसिस विंग, अर्धसैनिक बलों के इंटेलिजेंस यूनिट और देशभर के पुलिस की खुफिया विभाग तालमेल के साथ काम करेंगे, जिससे रियल टाइम इन्फॉर्मेशन मिलेगी और देश की आंतरिक सुरक्षा को और ज्यादा मजबूती मिलेगी।
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मल्टी एजेंसी सेंटर पर एक्सपर्ट क्या राय रखते हैं?
डिफेंस एक्सपर्ट टीपी त्यागी कहते हैं कि इस नए मल्टी एजेंसी सेंटर में एक छत के नीचे बड़ी एजेंसियों का आना अपने आप में सराहनीय कदम हैं। रियल टाइम सूचनाओं का आदान-प्रदान होगा और किसी भी आतंकी घटना या फिर आपातकालीन स्थिति में तुरंत उस जगह इंटेलिजेंस यूनिट का डिप्लॉय होना या फिर फोर्स की तैनाती होना ये बातें तय होंगी। इसकी जरूरत थी और ये गेम चेंजर साबित होगा।
साइबर एक्सपर्ट का मानना हैं कि MAC नेटवर्क पर जनरेट की गई डेटा एनालिटिक्स की गुणवत्ता और बेहतर होगी। ट्रेंड एनालिसिस बिल्कुल ऍक्युरेट होगा, हॉटस्पॉट की मैपिंग की जा सकेगी और टाइमलाइन एनालिसिस भी हो सकेगा जो प्रेडिक्टिव और ऑपरेशनल आउटकम देगा। नया MAC प्लेटफॉर्म, टेरर इकोसिस्टम से लड़ने में बहुत दूरगामी साबित होगा, जो संगठित अपराध से काफी गहराई से जुड़ा हुआ है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 17 May 2025 at 15:52 IST