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Published 23:47 IST, November 28th 2024

स्कूल संबंधी उपायों को छोड़कर GRP-4 के तहत सभी पाबंदियां दो दिसंबर तक जारी रहेंगी: कोर्ट

SC ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जीआरएपी-4 के तहत आपात उपायों में छूट देने से इनकार कर दिया और 2 दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया।

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Delhi Air Pollution
Delhi Air Pollution | Image: PTI/Shutterstock
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उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्ययोजना (जीआरएपी)-4 के तहत आपात उपायों में छूट देने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया और इन्हें दो दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया।

केंद्र ने हालांकि कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) नियंत्रित सीमा में है।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि ‘कोर्ट कमिश्नर’ द्वारा प्रस्तुत दूसरी रिपोर्ट से पता चलता है कि अधिकारी ‘जीआरएपी-चार’ के तहत पाबंदियों को अक्षरशः लागू करने में ‘‘पूरी तरह विफल’’ रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि स्कूलों के संबंध में संशोधित उपायों को छोड़कर ‘जीआरएपी-चार’ के तहत सभी पाबंदियां सोमवार तक लागू रहेंगी। इस बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग एक बैठक आयोजित करेगा और ‘जीआरएपी-चार’ से ‘जीआरएपी-तीन’ या ‘जीआरएपी-दो’ की ओर जाने के बारे में सुझाव देगा। हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह आवश्यक नहीं है कि ‘जीआरएपी-चार’ में दिए गए सभी उपाय लागू किए जाएं।’’

उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आवश्यक सामान ले जाने वाले या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले तथा एलएनजी/सीएनजी/इलेक्ट्रिक/बीएस-VI वाले ट्रकों को छोड़कर सभी ट्रकों के प्रवेश पर जीआरएपी-4 उपायों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंध लगा दिया गया है।

इसने कहा कि ‘जीआरएपी-चार’ की पाबंदियों को सुनिश्चित करने में ‘गंभीर चूक’ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लानी चाहिए।

जीआरएपी-4 के नियमों को सुनिश्चित करने में ‘‘गंभीर चूक’’ के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पुलिस आयुक्त, विशेष आयुक्त (यातायात), अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन आयुक्त, आयुक्त (एमसीडी) को नोटिस जारी कर दो दिसंबर तक स्पष्टीकरण मांगा गया है।

भाटी ने कहा कि एक्यूआई ‘‘नियंत्रण सीमा’’ में है और अदालत को मानदंडों में ढील देने पर विचार करना चाहिए।

शून्य से 50 के बीच का एक्यूआई ‘‘अच्छा’’ माना जाता है; 51 से 100 के बीच ‘‘संतोषजनक’’; 101 से 200 के बीच ‘‘मध्यम’’; 201 से 300 के बीच ‘‘खराब’’; 301 से 400 के बीच ‘‘बहुत खराब’’; जबकि 401 से 500 के बीच का एक्यूआई ‘‘गंभीर’’ माना जाता है।

पीठ ने पंजाब से संबंधित उस खबर का संज्ञान लिया, जिसमें एक भूमि अभिलेख अधिकारी और संगरूर ब्लॉक पटवारी यूनियन के अध्यक्ष ने खुले तौर पर किसानों को उपग्रह की नजर से बचने के लिए शाम चार बजे के बाद पराली जलाने की सलाह देने की बात स्वीकार की थी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस खबर की सत्यता के बारे में नहीं जानते लेकिन यदि यह सही है तो यह बहुत गंभीर बात है। (पंजाब) राज्य के अधिकारी किसी भी किसान को इस तथ्य का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दे सकते कि वर्तमान में दिन के कुछ घंटों के दौरान होने वाली गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। पंजाब सरकार को तुरंत सभी अधिकारियों को निर्देश जारी करना चाहिए कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों।’’

‘जीआरएपी-चार’ पाबंदियां विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी में गैर-आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने से संबंधित हैं।

बृहस्पतिवार को सुनवाई की शुरुआत में, पीठ ने जीआरएपी-4 के तहत पाबंदियों के अनुसार दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश को रोकने में अधिकारियों की ‘‘पूर्ण विफलता’’ को रेखांकित किया।

पीठ ने कहा, ‘‘पूरी तरह से विफलता है। पुलिस कहीं भी तस्वीर में नहीं थी। ट्रकों को क्षेत्र में प्रवेश करने दिया गया और वापस जाने का कोई रास्ता नहीं था। हमने जो कुछ तस्वीरें देखीं, उनमें पुलिस सीमा के अंदर खड़ी दिखी। इसलिए लोग ट्रक लेकर अंदर आ जाते हैं और कोई समाधान नहीं निकलता।’’

भाटी ने बताया कि ज्यादातर ट्रक 13 प्रमुख जांच चौकियों से शहर में प्रवेश कर रहे हैं और कुछ बैनर के जरिये चालकों को जागरूक किया जा रहा है कि उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं है।

न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि ट्रकों को दिल्ली सीमा के बजाय एनसीआर सीमा पर रोका जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि प्रवेश बिंदुओं पर निरीक्षण करने के लिए ‘कोर्ट कमिश्नर’ के रूप में नियुक्त उच्चतम न्यायालय के 13 वकील क्षेत्रों का दौरा करना जारी रखेंगे और न्यायालय को रिपोर्ट सौंपेंगे।

उच्चतम न्यायालय दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है।

उच्चतम न्यायालय ने 25 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से विद्यालयों और कॉलेजों में नियमित कक्षाओं को फिर से शुरू करने पर विचार करने को कहा था।

वहीं, उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पंजाब और हरियाणा सरकारें पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई धीमी गति से कर रही हैं।

न्यायालय ने कहा कि इस समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए एक तंत्र विकसित किए जाने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि 24 घंटे डेटा उपलब्ध रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी पक्षकारों को विस्तार से सुनने का प्रस्ताव रखते हैं। हम मामले की जड़ तक जाना चाहते हैं और निर्देश जारी करना चाहते हैं। कुछ करने की जरूरत है। हर साल यह समस्या नहीं आ सकती। उपलब्ध आंकड़ों से हम कह सकते हैं कि दोनों राज्य किसानों के खिलाफ धीमी गति से कार्रवाई कर रहे हैं।’’

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इसरो प्रोटोकॉल पर काम कर रहा है।

Updated 23:47 IST, November 28th 2024