अपडेटेड 20 December 2024 at 22:33 IST
अजमेर दरगाह विवाद : दीवान और खादिमों के संगठन ने पक्षकार बनने के लिए अदालत का रुख किया
राजस्थान में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका में पक्षकार बनने के लिए अजमेर की अदालत में पांच आवेदन पेश किए गए हैं।
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राजस्थान में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका में पक्षकार बनने के लिए अजमेर की एक स्थानीय अदालत में पांच आवेदन पेश किए गए हैं।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की है।
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी और मंदिर का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता गुप्ता की ओर से 27 नवंबर को दायर याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
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अदालत में शुक्रवार की सुनवाई में पक्षकार बनने के लिए पांच आवेदन पेश किए गए। ये आवेदन अजमेर दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन अली खान, खादिमों के निकाय ‘अंजुमन सैयद जादगान’ और अन्य व्यक्तियों की ओर से पेश किए गए।
याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता के वकील योगेंद्र ओझा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अदालत ने आवेदनों को रिकॉर्ड पर ले लिया है और याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया के लिए अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की है।’’
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उन्होंने बताया कि दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और एएसआई को जारी नोटिस के जवाब में कहा गया है कि उन्हें जवाब तैयार करने के लिए दस्तावेजों की जरूरत है। ये दस्तावेज इस दावे से संबंधित हैं कि वहां शिव मंदिर था।
जैनुल आबेदीन अली खान के बेटे नसीरुद्दीन चिश्ती ने अदालत में उनका प्रतिनिधित्व किया और पक्षकार बनने के लिए आवेदन दिया।
उन्होंने कहा कि खान दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख हैं और इसलिए उन्हें पक्षकार बनाया जाना चाहिए।
अंजुमन सचिव सरवर चिश्ती ने भी कहा कि अंजुमन समिति की ओर से पक्षकार बनने के लिए अदालत में आवेदन दिया गया है।
चिश्ती ने कहा, ‘‘इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को होगी।’’
पिछले महीने इस याचिका पर मुस्लिम नेताओं द्वारा नाराजगी जताए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं देश में एकता और भाईचारे के खिलाफ हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए।
अजमेर शरीफ दरगाह को भारत में सबसे पवित्र मुस्लिम तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है और यह अजमेर में एक प्रसिद्ध स्थल भी है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती एक सूफी संत थे। उनके सम्मान में मुगल सम्राट हुमायूं ने इस दरगाह का निर्माण करवाया था। अपने शासनकाल के दौरान मुगल शासक अकबर हर साल अजमेर की तीर्थयात्रा करते थे। उन्होंने और शाहजहां ने दरगाह परिसर के अंदर मस्जिदें बनवाईं थी।
Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 20 December 2024 at 22:33 IST