अपडेटेड 14 July 2024 at 23:11 IST
Kargil War: वायुसेना ने 'ऑपरेशन सफेद सागर' को याद किया, शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी
वायुसेना देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों के सम्मान में 12-26 जुलाई तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में 'करगिल विजय दिवस रजत जयंती' मना रही है।
- भारत
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Operation Safed Sagar: भारतीय वायुसेना ने 25 साल पहले हुए करगिल युद्ध में अपनी भूमिका को रविवार को याद किया। इसने दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में थलसेना के प्रयासों को मजबूत करने के लिए हजारों लड़ाकू मिशन और हेलीकॉप्टर उड़ानों को अंजाम दिया था।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वायुसेना देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों के सम्मान में 12-26 जुलाई तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में 'करगिल विजय दिवस रजत जयंती' मना रही है। भारत ने 1999 में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़ी गई इस लड़ाई में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी।
वायुसेना प्रमुख ने दी योद्धाओं को श्रद्धांजलि
वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने राष्ट्र की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वायु योद्धाओं को श्रद्धांजलि के रूप में शनिवार को वायुसेना स्टेशन स्थित युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की। बयान में कहा गया कि इस दौरान एक शानदार एयर शो का आयोजन किया गया जिसमें आकाश गंगा टीम, जगुआर, एसयू-30 एमकेएल और राफेल लड़ाकू विमानों ने भाग लिया।
शहीद नायकों की स्मृति में एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर ने ‘मिसिंग मैन फॉर्मेशन’ उड़ान भरी। इस अवसर पर चीता और चिनूक जैसे हेलीकॉप्टरों ने भी प्रदर्शन किया। इस दौरान ‘एअर वॉरियर ड्रिल टीम’ और वायुसेना बैंड ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। इस कार्यक्रम को पांच हजार से अधिक दर्शकों ने देखा, जिनमें स्कूली बच्चे, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, भूतपूर्व सैनिक, गणमान्य नागरिक और रुड़की, देहरादून तथा अंबाला स्थित रक्षा प्रतिष्ठानों के कर्मी शामिल थे।
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ऑपरेशन में वायुसेना की भूमिका
बयान के अनुसार, भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवपूर्ण विरासत है जिन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में वीरता से लड़ाई लड़ी थी। वास्तव में यह सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर था। बयान में कहा गया कि करगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) 16 हजार फुट से अधिक की खड़ी ढलान और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करने की भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता का प्रमाण है।
इसमें कहा गया कि कुल मिलाकर वायुसेना ने लगभग पांच हजार लड़ाकू मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को सुरक्षित निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए दो हजार से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं।
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बयान के अनुसार, वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट, 'द माइटी आर्मर' ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 1999 को 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को तोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर सीधा हमला करने के लिए 'नुबरा' फॉर्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसमें कहा गया कि इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद उनके हेलीकॉप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने निशाना बनाया जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया और असाधारण साहस के इस कार्य के लिए उन्हें मरणोपरांत वायुसेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया। बयान में कहा गया कि उनके सर्वोच्च बलिदान ने सुनिश्चित किया कि उनका नाम हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने करगिल युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की जीत की रजत जयंती पर एक वीडियो भी ‘एक्स’ पर पोस्ट किया।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Ruchi Mehra
पब्लिश्ड 14 July 2024 at 23:11 IST