अपडेटेड 18 October 2025 at 17:54 IST
S-400, बराक, आकाश जैसे एयर डिफेंस सिस्टम भारत पर परमाणु हमलों के जोखिम कम करने में सक्षम- फोर्सेस फर्स्ट कॉन्क्लेव में बोले जीडी बख्शी
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के फोर्सेस फर्स्ट कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन शनिवार (18 अक्टूबर) को दिल्ली में हुआ। ये कॉन्क्लेव 'वैश्विक संघर्षों के युग में जीवन' विषय पर रखा गया था।
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रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के फोर्सेस फर्स्ट कॉन्क्लेव 2025 का आयोजन शनिवार (18 अक्टूबर) को दिल्ली में हुआ। ये कॉन्क्लेव 'वैश्विक संघर्षों के युग में जीवन' विषय पर रखा गया था। भारत के इस सबसे हाई प्रोफाइल और प्रभावशाली मिलिट्री कॉन्क्लेव में रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल जीडी बख्शी (Ret.) ने भी शिरकत की। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित भविष्य के संघर्ष की रूपरेखा पर विचार साझा किए।
मेजर जनरल जीडी बख्शी (Ret.) ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूरने भारत की तकनीक-संचालित सैन्य क्षमता, विशेषकर मिसाइल रोधी, ड्रोन निष्क्रियकरण और टारगेटेड अटैक की क्षेत्रीय योग्यता को प्रभावी रूप से प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा, 'इस ऑपरेशन की सफलता ने पारंपरिक परमाणु प्रतिरोध (Deterrence) की अवधारणा को चुनौती देते हुए यह सिद्ध किया है कि हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम अब सीमित युद्धों में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के निरंतरता के कारण केवल प्रतिरोध की नीति अप्रभावी सिद्ध हुई है। ऐसे में भारत को अब “कंपेलेंस” (शत्रु को ठोस और त्वरित सैन्य कार्रवाइयों के माध्यम से वांछित आचरण के लिए बाध्य करने) की नीति अपनानी चाहिए। जीडी बख्शी ने कहा कि
ऑपरेशन सिंदूरने सीमित युद्ध के सिद्धांत में वायु शक्ति की प्रमुखता को पुष्ट किया है। वायु अभियानों की सटीकता, त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता और नियंत्रित दायरे के कारण यह राजनीतिक रूप से कम जोखिमपूर्ण साधन सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि इसी कारण भविष्य की सामरिक योजनाओं में वायु शक्ति को केंद्रीय भूमिका दी जानी चाहिए।
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1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना की उल्लेखनीय भूमिका: जीडी बख्शी
नौसैनिक आयाम पर विचार करते हुए जीडी बख्शी ने 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना की उल्लेखनीय भूमिका को याद किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत के पास समुद्री क्षेत्र में स्पष्ट सामरिक बढ़त है, जिसे भविष्य के संघर्षों में सक्रिय रूप से उपयोग कर विरोधी पर बहुआयामी दबाव डाला जा सकता है। भारत की एकीकृत वायु रक्षा संरचना (S-400, बराक, आकाशजैसी प्रणालियों के सम्मिलन) को उन्होंने “रणनीतिक सुरक्षा कवच” बताया। यह कवच भारत को परमाणु प्रतिक्रियाओं के जोखिम को न्यूनतम रखते हुए निर्णायक पारंपरिक कार्रवाई की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
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‘ATAGS तोप प्रणाली आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि’
जीडी बख्शी ने स्वदेशी ATAGSतोप प्रणाली को भारत के आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया, किंतु इसके अनुबंध और अधिष्ठापन की गति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की आधुनिक माध्यमिक तोपें भविष्य के उच्च-तीव्रता वाले संघर्षों में निर्णायक भूमिका निभाने में सक्षम हैं। उन्होंने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों की दक्षता में वृद्धि, सैन्य तकनीकी आधुनिकीकरण की तीव्रता तथा नौकरशाही प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में त्वरित कदम उठाना राष्ट्रीय सुरक्षा हित में अत्यंत आवश्यक है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 18 October 2025 at 17:06 IST