अपडेटेड 26 October 2024 at 11:26 IST

AIMPLB अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने की वक्फ संशोधन बिल की खिलाफत, सरकार पर लगाए ये आरोप

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने सरकार द्वारा लाए जा रहे वक्फ संशोधन बिल की खिलाफत की।

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AIMPLB President Maulana Khalid Saifullah
AIMPLB President Maulana Khalid Saifullah | Image: Republic

गौरव त्रिवेदी 

Maulana Khalid Saifullah: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद शहर के एक बड़े मदरसे में लोगों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने सरकार द्वारा लाए जा रहे वक्फ संशोधन बिल की खिलाफत की। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए जिंदगी और मौत का मसला है जिसे हमें हर कीमत पर रोकना चाहिए।

मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो देश का मुसलमान जेलों को इस कदर भर देगा कि उनको रखने की जगह नहीं मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि हम किसी की जान तो नहीं लेंगे लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो अपनी जान देने से भी गुरेज नही करेंगे।

'सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर मुसलमानों को दी जा रही जगह'

उन्होंने कहा कि 'हमारे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट के वकील ने बताया है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर मुसलमानों को जगह दी जा रही है। ऐसे में अगर इसका मैनेजमेंट गैर मुस्लिम करेंगे तो क्या उनको आपकी मस्जिदों और कब्रिस्तानों से हमदर्दी होगी? इसका नतीजा क्या निकलेगा कि आपकी वक्फ की जमीन आपके पास से चली जाएगी। यह बहुत खतरनाक कानून है। इस कानून का मकसद सिर्फ मुसलमान से उनकी वक्फ की जमीन छीन लेना है।'

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'वक्फ की 6 लाख एकड़ जमीन जुल्म की बात है?’

मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने आगे सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘पूरे देश की मंदिरों की बात मैं नहीं करता। सिर्फ तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मदिरों की बात कर रहा हूं। तमिलनाडु में 478000 एकड़ और आंध्र प्रदेश में 468000 एकड़ की मंदिरों की जमीन सिर्फ इन दो राज्यों में है। इन दोनों ही राज्यों को मिला ले तो मंदिरों की जमीन 10 लाख एकड़ सिर्फ दो ही राज्यों में है। ऐसे में अगर मुसलमान के पास पूरे देश में वक्फ की 6 लाख एकड़ जमीन है तो यह क्या जुल्म की बात है?’

'वक्फ की जमीनों पर सबसे ज्यादा सरकार का कब्जा'

उन्होंने आगे कहा कि वक्फ की जमीनों पर सबसे ज्यादा नाजायज कब्जा सरकार का है। वहीं दूसरे नंबर पर आम लोगों का है। उन आम लोगों में मुसलमान भी शामिल हैं। अक्सर जो वक्फ का केस चलता है वह वक्फ बोर्ड और हुकूमत के बीच होता है। ऐसे में हुकूमत चाहती है कि हम मुकदमा हार जाएं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा भी वक्त आया कि वक्फ बोर्ड के जिम्मेदारों पर मकुदमा हारने का दबाव डाला जाता है। ऐसे में जब पूरा मामला कलेक्टर के हाथ में चला जाएगा तो क्या उससे इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है? मुसलमानों को उनका हक दिलाएगी इसकी उम्मीद  की जा सकती है? 

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 26 October 2024 at 11:26 IST