अपडेटेड 31 March 2025 at 15:31 IST
BIG BREAKING: म्यांमार में भीषण तबाही के बाद भारत के इस प्रदेश में भूकंप से हड़कंप, इस इलाके में लगातार कांप रही धरती
अरुणाचल प्रदेश और उसके आसपास के सीमावर्ती इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए है। जानकारी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई।
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Earthquake in Arunachal Pradesh: अरुणाचल प्रदेश और उसके आसपास के सीमावर्ती इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए है। जानकारी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई। भूकंप का केंद्र अरुणाचल प्रदेश के शी योमी क्षेत्र था। यहां जमीन के अंदर 10 किमी नीचे भूकंप के झटके आए। झटके के बाद घबराए लोग घरों से बाहर निकल आए। राष्ट्रीय भूकंपीय निगरानी केंद्र (एनएसएमसी) के अनुसार अभी जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले भी अरुणाचल के पूर्वी कामेंग में सुबह-सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर जिसकी तीव्रता 3.8 दर्ज की गई थी। भूकंप का केन्द्र 27.58 उत्तरी अक्षांश तथा 93.20 पूर्वी देशान्तर पर सतह से 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित यह क्षेत्र हिमालय से निकटता के कारण भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
म्यांमार में भूकंप ने मचाई भारी तबाही
म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को 7.7 तीव्रता वाले भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई है। म्यांमार में भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1000 हो गई है तथा घायलों की संख्या बढ़कर 1,670 हो गई। अमेरिका के अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा है कि मौतों का आंकड़ा 10,000 तक पहुंच सकता है। अभी भी लगातार झटके महसूस हो रहे हैं, जो लोगों को डरा रहे हैं।
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क्यों आते हैं भूकंप
धरती का बाहरी सतह शांत और स्थिर दिखता है, लेकिन इसके अंदर हमेशा उथल-पुथल होती रहती है। भूगर्भीय प्लेटों के टकराने के कारण हर साल सैकड़ों भूकंप आते हैं। इस पर कई भूविज्ञान विशेषज्ञ बताते हैं कि हमारी धरती 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो जो ऊर्जा निकलती है, वह भूकंप का कारण बनती है।
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धरती के नीचे मौजूद ये प्लेटें बेहद धीमी गति से घूमती रहती हैं. हर साल ये प्लेटें 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसकती हैं. इस दौरान कुछ प्लेटें एक-दूसरे से दूर हो जाती हैं और कुछ एक के नीचे सरक जाती हैं. इस खिसकने और टकराने की प्रक्रिया के कारण ही भूकंप आता है.
भूकंप का केंद्र ही वह स्थान होता है जहां धरती के अंदर चट्टानें टूटती या टकराती हैं। इसे फोकस या हाइपोसेन्टर कहा जाता है। भूकंप की ऊर्जा इस केंद्र से तरंगों के रूप में फैलती है। जब ये तरंगें धरती की सतह तक पहुंचती हैं, तो कंपन महसूस होता है। जहां यह ऊर्जा सतह को काटती है, उसको एपिसेंटर कहते हैं। यही स्थान भूकंप के सबसे नजदीक और प्रभावी होता है।
Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 31 March 2025 at 15:08 IST