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Published 13:29 IST, September 16th 2024

Kolkata: पॉलीग्राफ टेस्ट में संदीष घोष ने दिया चकमा, जांच को भटकाया? CBI का बड़ा दावा

अधिकारियों ने दावा किया कि मंडल को नौ अगस्त को सुबह 10 बजकर तीन मिनट पर घटना की सूचना दे दी गयी थी लेकिन वह तुरंत अपराध स्थल पर नहीं पहुंचे। वह एक घंटे बाद अपराध स्थल पर पहुंचे।

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Sandip Ghosh
संदीप घोष | Image: PTI

Kolkata News: आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष ने अपनी ‘पॉलीग्राफ’ जांच और ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ के दौरान परास्नातक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या की घटना से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के ‘‘भ्रामक’’ जवाब दिए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ झूठ का पता लगाने वाली एक नयी तरह की जांच है। इसका उपयोग आरोपी के झूठ बोलने पर उसकी प्रतिक्रिया का पता लगाने के लिए किया जाता है। हालांकि, यह झूठ की पहचान नहीं करता। यह तकनीक आवाज में तनाव और भावनात्मक संकेतों की पहचान करती है।

संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट

मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में दो सितंबर को घोष को गिरफ्तार किया था। संघीय जांच एजेंसी ने बाद में उनके खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप भी जोड़े थे। पूछताछ के दौरान घोष की ‘पॉलीग्राफ’ जांच और ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ कराया गया।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, नयी दिल्ली में स्थित केंद्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनका जवाब इस मामले से जुड़े ‘‘कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर भ्रामक’’ पाया गया है।

उन्होंने बताया कि ‘पॉलीग्राफ’ जांच के दौरान मिली जानकारी का मुकदमे की सुनवाई के दौरान सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता लेकिन एजेंसी इसका उपयोग कर ऐसे सबूत एकत्र कर सकती है जिनका अदालत में इस्तेमाल किया जा सकता है।

‘पॉलीग्राफ’ जांच संदिग्धों और गवाहों के बयानों में विसंगतियों का आकलन करने में मदद कर सकती है। उनकी मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं - हृदय गति, सांस लेने के तरीके, पसीने और रक्तचाप की निगरानी करके जांचकर्ता यह निर्धारित कर सकते हैं कि उनकी प्रतिक्रिया में विसंगतियां हैं या नहीं।

CBI के आरोप

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि घोष को नौ अगस्त को सुबह नौ बजकर 58 मिनट पर प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के बारे में जानकारी मिल गयी थी लेकिन उन्होंने पुलिस में तुरंत शिकायत दर्ज नहीं करायी। उन्होंने बताया कि घोष ने काफी देर बाद चिकित्सा अधीक्षक-उप प्राचार्य के जरिए कथित तौर पर ‘‘अस्पष्ट शिकायत’’ दर्ज कराई थी जबकि चिकित्सक को अपराह्न 12 बजकर 44 मिनट पर ही मृत घोषित कर दिया गया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने तुरंत प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय उन्होंने इसे आत्महत्या के मामले के रूप में पेश करने की कोशिश की जो पीड़िता के शरीर के निचले हिस्से पर दिखायी देने वाली बाहरी चोट को देखते हुए संभव नहीं है।’’

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि घोष ने सुबह 10 बजकर तीन मिनट पर ताला पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल और अपराह्न एक बजकर 40 मिनट पर एक वकील से संपर्क किया था जबकि अप्राकृतिक मौत का एक मामला रात साढ़े 11 बजे दर्ज किया गया।

मंडल पर भी गंभीर आरोप

सीबीआई ने इस मामले के संबंध में मंडल को भी गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने दावा किया कि मंडल को नौ अगस्त को सुबह 10 बजकर तीन मिनट पर घटना की सूचना दे दी गयी थी लेकिन वह तुरंत अपराध स्थल पर नहीं पहुंचे। वह एक घंटे बाद अपराध स्थल पर पहुंचे।

‘जनरल डायरी’ की ‘प्रविष्टि 542’ में कहा गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक सेमीनार कक्ष में ‘‘अचेत अवस्था’’ में मिली जबकि एक चिकित्सक ने पहले ही शव की जांच कर ली थी और उसे मृत पाया था। उन्होंने दावा किया कि ‘‘अस्पताल अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर की गई कथित साजिश के तहत’’ जनरल डायरी की इस प्रविष्टि में जानबूझकर गलत विवरण दिए गए।

अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने और अपराध स्थल की सुरक्षा करने में मंडल की विफलता के परिणामस्वरूप ‘‘अपराध स्थल पर उपलब्ध महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए’’।

उन्होंने कहा कि मंडल ने आरोपी संजय रॉय और अन्य लोगों को बचाने की कोशिश की जो संदिग्ध रूप से सबूतों से छेड़छाड़ करने के इरादे से अपराध स्थल पर अवैध रूप से पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि घोष ने अधीनस्थ अधिकारियों को शव को जल्द से जल्द मुर्दाघर में भेजने का कथित तौर पर निर्देश दिया।

परास्नातक महिला चिकित्सक का शव नौ अगस्त को आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद किया गया था। उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। इस घटना के अगले दिन कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। फुटेज में उसे घटना वाले दिन तड़के चार बजकर तीन मिनट पर सेमीनार हॉल में घुसते देखा गया था।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था जिसने 14 अगस्त को मामले की जांच संभाली थी।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 13:29 IST, September 16th 2024