अपडेटेड 4 September 2021 at 14:10 IST
देश के 612 जिले जलवायु परिवर्तन की चपेट में, पूर्व के 100 जिलों में जोखिम सबसे ज्यादा
यह रिसर्च भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर ने IIT मंडी और IIT गुवाहाटी के सहयोग से किया गया था। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने फंड दिया था।
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हाल ही में हुए एक अध्ययन में बताया गया है कि देश के 100 जिले (खासकर भारत के पूर्व के जिले) भारी जलवायु परिवर्तन की चपेट में हैं। मिली जानकारी के अनुसार यह रिसर्च भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर ने IIT मंडी और IIT गुवाहाटी के सहयोग से किया था। इस शोध को पूरा करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने फंड दिया था।
जलवायु परिवर्तन की चपेट में भारत के जिले
डीएसटी द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि,"भारत में IISc बैंगलुरू, IIT मंडी, IIT गुवाहाटी और साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के सहयोग से किए गए अध्ययन में पता चला कि भारत के 612 जिले जलवायु परिवर्तन की चपेट में हैं, लेकिन देश के ज्यादातर पूर्वी हिस्सों में 100 जिले हैं जिनपर खतरा सबसे ज्यादा है।"
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भारत के पूर्वी जिले सहित झारखंड, मिजोरम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, बिहार, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल जलवायु के लिए अधिक संवेदनशील बताए जा रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के नीति समन्वय और कार्यक्रम प्रबंधन (PCPM) प्रभाग के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख अखिलेश गुप्ता और एक जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ ने इस रिपोर्ट का समर्थन किया है।
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार, “वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर पहले ही 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है, और अगले दो दशकों में इसके 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की उम्मीद है।” बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग का भविष्य में भारत पर अधिक प्रभाव पड़ने की भविष्यवाणी की गई है, जिसमें हीटवेव की आवृत्ति, गंभीरता और अवधि में वृद्धि हुई है। वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख अखिलेश गुप्ता के अनुसार “मानसून बदलाव में अधिक अनियमित हो सकती है, जिसकी वजह से बार-बार सूखा और बाढ़ आती है। हिंद महासागर में समुद्र का जलस्तर और भी ज्यादा बढ़ने की संभावना है। पिछले दो दशकों में समुद्र का स्तर पहले ही बढ़ चुका है।”
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अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा,"अगले दो दशक बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। आईपीसीसी की कार्य समूह की रिपोर्ट वैश्विक जलवायु प्रभावों के लिए कड़ी चेतावनी देती है। वैश्विक तापमान में दो डिग्री की वृद्धि उम्मीद से पहले आ सकती है। इसका भारत पर विशेष रूप से कृषि पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। भारत ऐसे प्रभावों से निपटने की चुनौती का सामना कर रहा है।"
एनआईडीएम, एमएचए के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल एमके बिंदल ने चेतावनी दी कि “खतरा अपने निशान पर पहुंच गया है, तत्काल सूचना पहुंचाने की जरूरत है कि ताकि जीवन और आजीविका को संरक्षित किया जा सके।”
(PC: Pixabay)
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Published By : Kanak Kumari Jha
पब्लिश्ड 4 September 2021 at 14:03 IST