अपडेटेड 30 March 2022 at 18:32 IST
Malegaon Bomb Blast: मालेगांव बम विस्फोट केस में 20वां गवाह भी मुकरा; ब्लास्ट में मारे गए थे 6 लोग
Malegaon Bomb Blast: 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एक और गवाह बुधवार को यह कहते हुए मुकर गया कि उसने महाराष्ट्र एटीएस के सामने कभी बयान दर्ज नहीं कराया है।
- भारत
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Malegaon Bomb Blast: 2008 के मालेगांव बम विस्फोट केस में एक और गवाह बुधवार 30 मार्च को यह कहते हुए मुकर गया कि उसने महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के सामने कभी बयान दर्ज नहीं कराया है।
30 मार्च को अदालत में पेश किए गए गवाह ने मामले के प्रमुख आरोपियों में से एक लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित की पहचान करने से इनकार कर दिया। केस की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
बता दें, मालेगांव बम विस्फोट मामले में 20 गवाह मुकर गए हैं। इस केस में भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुख्य आरोपी हैं।
24 मार्च को 19वां गवाह जो एक पूर्व सेना अधिकारी है, एक विशेष एनआईए अदालत के समक्ष गवाही देने के बाद मुकर गया था। वह केवल लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को पहचानता था और किसी अन्य आरोपी को नहीं जानता था। गवाह ने कहा कि वह कभी प्रज्ञा ठाकुर से नहीं मिला और न ही वह दक्षिणपंथी समूह 'अभिनव भारत' की किसी बैठक में शामिल हुआ।
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मालेगांव विस्फोट मामला
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल से बंधा बम फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर इस शहर को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माना जाता है। मुकदमे में अब तक 235 गवाहों ने गवाही दी है।
सभी सात आरोपी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत हत्या, आपराधिक साजिश और संबंधित आरोपों का सामना कर रहे हैं, और ये सभी जमानत पर बाहर हैं।
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ठाकुर और पुरोहित के अलावा, अन्य आरोपी मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी हैं।
उनपर यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना) और 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आईपीसी की धारा 120 (बी) (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 153 (ए) (दो धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना)। प्राथमिकी में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों को भी शामिल किया गया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 2013 में इस मामले को अपने हाथ में लिया था।
Published By : Munna Kumar
पब्लिश्ड 30 March 2022 at 18:32 IST