अपडेटेड 25 February 2025 at 20:51 IST
भीड़ ने घेरा फिर बाप-बेटे को जिंदा जलाया... 41 साल पहले की वो दिल दहलाने वाली घटना, जिसमें सज्जन कुमार को हुई उम्रकैद
दिल्ली की अदालत ने एक नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की कथित हत्या के मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई।
- भारत
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साल 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े हत्या के एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार, 25 फरवरी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सज्जन कुमार के खिलाफ सिख दंगों से जुड़े तीन केस चल रहे हैं, जिसमें से एक में वो पहले बरी हो चुके हैं और दूसरे में उन्हें मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सरस्वती विहार हिंसा मामले में यह सजा सुनाई है।
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने एक नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की कथित हत्या के मामले में यह फैसला सुनाया। दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में पीड़िता की आंख के सामने भीड़ ने उनके पति और बेटे की हत्या कर दी थी और बाद में इन्हें आग के हवाले भी कर दिया था। इस दिल दहला देने वाली घटना की चर्चा करते हुए आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
12 फरवरी को कोर्ट ने दोषी ठहराया था
अदालत ने 12 फरवरी को सज्जन कुमार को अपराध के लिए दोषी ठहराया और मृत्युदंड की सजा वाले मामलों में ऐसी रिपोर्ट के अनुरोध के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तिहाड़ केंद्रीय जेल से कुमार के मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन पर रिपोर्ट मांगी।
पीड़िता ने मृत्युदंड सजा की मांग की थी
हत्या के अपराध में अधिकतम सजा मृत्युदंड होती है, जबकि न्यूनतम सजा आजीवन कारावास होती है। शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी और अभियोजन पक्ष ने कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी। कुमार फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। पंजाबी बाग थाने ने इस संबंध में मामला दर्ज किया था हालांकि बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली।
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बदले की आग में जला डाला सैंकड़ों घर
अदालत ने 16 दिसंबर, 2021 को कुमार के खिलाफ आरोप तय किए और उनके खिलाफ ‘‘प्रथम दृष्टया’’ मामला पाया अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि घातक हथियारों से लैस एक बड़ी भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी और सिखों की संपत्ति को नष्ट किया। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि भीड़ ने शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी के घर पर हमला किया, जिसमें सामान लूटने और उनके घर को आग लगाने के अलावा पुरुषों की हत्या कर दी गई।
दिल्ली में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं
कुमार पर मुकदमा तब चलाया गया जब अदालत ने ‘‘प्रथम दृष्टया इस राय के पक्ष में पर्याप्त सामग्री पाई कि वह न केवल एक भागीदार थे, बल्कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व भी किया था’’। हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार दंगों के संबंध में दिल्ली में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जिसमें 2,733 लोग मारे गए थे। इनमें लगभग 240 प्राथमिकी को पुलिस ने ‘‘अज्ञात’’ बताकर बंद कर दिया और 250 मामलों में आरोपी बरी हो गए। 587 प्राथमिकी में से केवल 28 मामलों में ही सजा हुई और लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया।
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1 नवंबर 1984 को क्या हुआ था
सज्जन कुमार सहित लगभग 50 को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उस वक्त एक प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद रहे कुमार पर 1984 में एक और दो नवंबर को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के मामले में आरोप लगाया गया था। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। कुमार को बरी किए जाने के अनुरोध और आजीवन कारावास के खिलाफ दो याचिकाएं क्रमशः दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।
इनपुट-भाषा
Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 25 February 2025 at 20:40 IST