
अपडेटेड 8 October 2025 at 08:32 IST
Karwa Chauth 2025: करवाचौथ पर क्यों होती है चांद की पूजा, छलनी से किसलिए पत्नी देखती है पति का चेहरा? जानिए
Karwa Chauth 2025: करवा चौथ के त्योहार के दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन औरतें अपने पति की लंबी उम्र और सुखी लाइफ के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चांद निकलने के बाद उसकी पूजा करके ही अपने व्रत तोड़ती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि करवा चौथ पर चंद्रमा की ही पूजा क्यों की जाती है? आइए जानते हैं।
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करवा चौथ का व्रत शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। यह निर्जला उपवास होता है जो सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रमा के दर्शन के करने के बाद ही समाप्त होता है।
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हिंदू धर्म में चंद्रमा को मन की शांति, स्थिरता और सुकून का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने से मन और परिवार दोनों में सुख और शांति मिलती है।
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ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के चांद की पूजा करने से शादीशुदा जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पति की आयु लंबी होती है।
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हिंदू धर्म में चंद्रमा को शाश्वत चक्र और पुनर्जन्म का प्रतीक भी माना गया है। इसलिए इस दिन महिलाएं इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक मानकर पूजा करती हैं।
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व्रत सूर्योदय से ही शुरू होता है, इसलिए सूर्य की पूजा दिन की शुरुआत में ही की जाती है। चंद्रमा व्रत की पूर्णता और पारण का प्रतीक होता है।
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मान्यता है कि भगवान गणेश ने चंद्रदेव को श्राप दिया था कि जो कोई भी उन्हें सीधा देखेगा, उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा। इसलिए महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं।
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चांद देखकर पति का चेहरा देखने की यह परंपरा प्यार, अटूट बंधन और जीवनभर के साथ का प्रतीक है, जो हर सुहागिन के जीवन में सौभाग्य लेकर आती है।
Image: UnsplashPublished By : Kirti Soni
पब्लिश्ड 8 October 2025 at 08:32 IST