अपडेटेड April 29th 2025, 18:29 IST
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पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। वह हमेशा चिंता में रहता था कि अपने परिवारवालों को कैसे पाले।
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आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद वो धार्मिक था और दान करता था। एक बार धर्मदास ने किसी कथा में अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले दान के बारे में सुना।
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फिर उसने अक्षय तृतीया को सुबह गंगा नदी में स्नान कर देवी देवताओं का पूजन कर और जल व जौ, अनाज आदि कई वस्तुओं को ब्राह्मणों को दान में दीं।
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ऐसा देखकर उसकी पत्नी ने उसे कई बार रोका। पत्नी को लगता था कि अगर वह यह सब दान में दे देंगा तो हम लोग कैसे रहेंगे।
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लेकिन धर्मदास को यकीन था कि इसका फल उसे जरूर मिलेगा। ऐसे में वह वृद्धावस्था में अनेक रोगों से ग्रस्त होने के बावजूद अक्षय तृतीया पर जरूर दान करता।
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कहते हैं कि धर्मदास अक्षय तृतीया के दिन दान धर्म करने के कारण अगले जन्म में कुशावती राजा हुआ।
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अपने अगले जन्म में भी इनका स्वभाव नहीं बदला और ये दान धर्म के मार्ग पर ही चलते रहे और पुण्य फल से अपने अगले जन्म में यही महान सम्राट चंद्रगुप्त कहलाए।
/ Image: FreepikDisclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
पब्लिश्ड April 29th 2025, 18:29 IST