Ekadashi 2024

अपडेटेड 22 April 2025 at 22:45 IST

Varuthini Ekadashi 2025: 23 या 24 अप्रैल... कब है वरुथिनी एकादशी?

Varuthini Ekadashi 2025: हर महीने दो एकादशी और साल में 24 एकादशी आती है। एक एकादशी कृष्ण पक्ष दूसरी एकादशी शुक्ल पक्ष।

Follow : Google News Icon  
camera icon
1/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

इस महीने आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी बेहद ही फल देने वाली होती है। वहीं इस एकादशी को बेहद शुभ माना जाता है।

Image: shutterstock

camera icon
2/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल है कि वरुथिनी एकादशी किस दिन मनाई जा रही है। बता दें कि यह एकादशी इस साल 24 अप्रैल दिन गुरुवार को मनाई जा रही है।

Image: AI

Advertisement
camera icon
3/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

वहीं अगर इसकी शुरुआत की बात करें तो यह एकादशी 23 अप्रैल को शाम 4:44 पर शुरू होगी। वहीं इसका समापन 24 अप्रैल को दोपहर 2:31 पर होगा।

Image: Shutterstock

camera icon
4/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, आप 24 अप्रैल को एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वहीं इस व्रत का पारण 25 अप्रैल यानी द्वादशी तिथि में होगा।

Image: instagram

Advertisement
camera icon
5/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

ऐसे में आप सुबह 5:45 से 8:23 के बीच में व्रत का पारण कर सकते हैं।

Image: Freepik

camera icon
6/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर गंगाजल से पूजा स्थल को साफ करके आप शुद्ध मन से व्रत का संकल्प ले सकते हैं।

Image: instagram

camera icon
7/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं। वहीं इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं व्रत भी रखती हैं। 

Image: Freepik

camera icon
8/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

आप भगवान विष्णु की मूर्ति पर या तस्वीर पर गंगाजल का छिड़काव करें और उनके सामने घी का दीपक जलाकर चंदन, चावल, फूल अर्पित करें।

Image: Instagram

camera icon
9/9
|
Expand icon
|
share gallery
Description of the pic

 फिर तुलसी पत्ते चढ़ाएं। उसके बाद फलहार, मिष्ठान का भोग लगाएं और विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु स्त्रोत का पाठ करके आरती करें।

Image: instagram

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 22 April 2025 at 22:45 IST