Air India Express Passenger Flight Hit By Laser Beam, Forced To Hover For 10 Minutes Before Landing At Chennai Airport

अपडेटेड 19 June 2025 at 14:22 IST

प्लेन के उड़ान भरने से पहले इंजन में क्यों डालते हैं मुर्गा? कारण जान हो जाएंगे हैरान

Chicken Test in Aviation: अहमदाबाद विमान हादसे के बाद से लोग फ्लाइट में बैठने से पहले बेहद घबराते हैं। प्लेन में हल्की सी भी खराबी लोगों की जान ले सकती है। ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्लेन की जांच नहीं की जाती या हवाई जहाज के उड़ने से पहले किन चीजों पर फोकस करना जरूरी होता है?

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बता दें कि इंटरनेशनल सेफ्टी स्टैंडर्ड्स के मुताबिक जब हवाई जहाज उड़ान भरता है तो उससे पहले पूरी तरीके से उसकी जांच होती है। उसी में से एक जांच चिकन द्वारा की जाती है। 

Image: representative

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जब कोई प्लेन टेक ऑफ या लैंडिंग करता है और जमीन के पास आता है तो उस दौरान आसमान में उड़ते पक्षी का टकराना एक आम बात है। हालांकि इससे एक बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। विमान को भी नुकसान पहुंच सकता है।

Image: Unsplash

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ऐसे में जब प्लेन 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार लेता है तो एक मामूली सी टक्कर भी जानलेवा साबित हो सकती है। कई बार पक्षी के टकराने से सामने का शीशा तक टूट जाता है और पायलट घायल तक हो जाते हैं।

Image: File photo

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वहीं अगर कोई पक्षी प्लेन के इंजन में चला जाए तो ब्लेड टूटने की आशंका भी रहती है। इसके अलावा आग लग सकती है। इंजन बंद हो सकता है, जिसकी वजह से प्लेन क्रैश हो सकता है और कई लोगों की जान भी जा सकती है। 

Image: AP

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ऐसे में दुनिया भर के विमान संगठन और सरकारें ये सुनिश्चित करती हैं कि जब प्लेन उड़ान भरता है तो वह हर तरीके से सुरक्षित हो।

Image: X

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बर्ड स्ट्राइक यानि पक्षी से टकराने की स्थिति को भी उड़ान से पहले मजबूती से चेक किया जाता है। इसके लिए उड़ान भरने से पहले इंजन पर मुर्गे फेकें जाते हैं। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। 

Image: ANI

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बता दें कि इसके लिए इंजीनियर एक खास मशीन चिकन गन (Chicken Gun) का इस्तेमाल करते हैं। यह एक बड़ी हवा की तोप है, जिससे चिकन प्लेन की विंडशील्ड, विंग (पंख) और इंजन पर दागते हैं। 

Image: ANI

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इसकी रफ्तार उतनी ही होती है, जितनी किसी पक्षी की होती है। ऐसे में इससे प्लेन के ग्लास और इंजन की सही स्थिति को जांचते हैं। यह टेस्ट लैबोरेट्री में करते हैं। 

Image: representative

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प्रयोगशाला में मुर्गा टकराने के बाद इंजीनियरिंग हाई स्पीड कैमरे से रिकॉर्ड करते हैं फिर नुकसानों की जांच करते हैं। चिकन गन टेस्ट में असली मुर्गे दागे जाते हैं क्योंकि…

Image: Pexels

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वे वजन, आकार और टिशू में आकाश में उड़ने वाले पक्षी जैसे ही होते हैं। ऐसे में आजकल यह तरीका बड़े एयरक्राफ्ट बनाने वाले संस्थानों द्वारा अपनाया जा रहा है। 

Image: X

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बता दें, इसके भी कुछ शर्तें नियम होते हैं। अगर कोई प्लेन के इंजन में मुर्गा फंस गया है तो उस वक्त उसका कम से कम 2 मिनट तक 75% थ्रस्ट के साथ काम करना जरूरी है।

Image: PTI

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जिससे कि पायलट के पास इमरजेंसी लैंडिंग कराने का समय हो। आपको बता दें कि ये टेस्ट इंटरनेशनल सेफ्टी स्टैंडर्ड का हिस्सा है और जब तक इसको पास नहीं किया जा सकता तब तक प्लेन उड़ान नहीं भर सकता।

Image: Twitter

Published By : Garima Garg

पब्लिश्ड 19 June 2025 at 12:53 IST