अपडेटेड 29 May 2024 at 10:56 IST
Panchayat 3: समय पहले कोई नहीं... गम में डूबे प्रह्लाद चा की ये बात दिल चीर देगी, रुला रहा ये VIDEO
पंचायत- 3 की शुरुआत भले ही नए सचिव, प्रधान और फुलेरा गांव की राजनीति से होती है, लेकिन आपकी आंखें सिर्फ प्रह्लाद चा को ढूंढेगी।
- मनोरंजन समाचार
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Panchayat 3: करोड़ों दिलों पर राज करने वाली वेब सीरीज पंचायत का तीसरा सीजन रिलीज हो गया है। 28 मई को पंचायत-3 ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई। लंबे समय से इस सीरीज का इंतजार कर रहे फैंस ने अपने समय से 6-7 घंटे निकाले और बिना रुके इसे देख डाला। पिछले दो सीजन की तरह पंचायत-3 को भी दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिल रहा है।
पंचायत-2 सीजन का आखिरी एपिसोड काफी इमोशनल था। हमेशा चेहरे पर मुस्कान और बिंदास लाइफ जीने वाले प्रह्लाद चा की जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट गया। उनका बेटा (राहुल) आर्मी में था और शहीद हो गया। इस एपिसोड से पहले तक ये सीरीज सिर्फ हंसा रही थी, लेकिन अचानक इसने ऐसा मोड़ लिया जिससे लोगों की आंखें भी नम हो गई और वो अगले सीरीज का बस इसलिए इंतजार करने लगे क्योंकि उन्हें एक बार फिर प्रह्लाद चा के चेहरे पर मुस्कान देखनी थी।
प्रह्लाद चा ने फिर रुला दिया
पंचायत-3 की शुरुआत भले ही नए सचिव, प्रधान और फुलेरा गांव की राजनीति से होती है, लेकिन आपकी आंखें सिर्फ प्रह्लाद चा को ढूंढेगी। पहले एपिसोड में उनकी एंट्री होती है जहां वो शराब में डूबे हुए होते हैं। बेटे की मौत के बाद अकेले पड़े प्रह्लाद ईंट का घर होते हुए भी पेड़ के नीचे सोते हैं, क्योंकि ये घर उन्हें काटता है। उसके बाद आता है वो सीन जिसे देखने के बाद आंखें नम और रोंगटे खड़े हो जाते हैं। महज 5 सेकेंड में प्रह्लाद चा वो बात बोल जाते हैं जिसे आप सीरीज देखने के बाद याद करेंगे और फिर बार-बार देखेंगे।
समय पहले कोई नहीं जाएगा...
प्रह्लाद चा और प्रधान (मंजु देवी) डीएम कार्यालय में बैठे हुए हैं। यहां फुलेरा गांव में नए सचिव की जॉइनिंग को लेकर बहस चल रही होती है। विधायक का प्रेशर है कि गांव में नया सचिव आए और अभिषेक त्रिपाठी का ट्रांसफर नहीं रुके, लेकिन प्रह्लाद चा जिद पर अड़े हुए हैं कि नहीं, सचिव तो अभिषेक जी ही रहेंगे।
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मंजु देवी बोलती हैं- 'प्रह्लाद सचिव जी तो वैसे भी 4-5 महीने में जाने ही वाले थे। इसके बाद फैसल मलिक यानि प्रह्लाद चा बोलते हैं, ''तो 4-5 महीने बाद चले जाएं भाभी, समय पहले कोई नहीं जाएगा... कोई नहीं मतलब कोई नहीं।''
डीएम ऑफिस में चले इस सीन में प्रह्लाद चा भले ही सचिव जी के लिए लड़ाई लड़ते दिख रहे हैं, लेकिन उनका ये डायलॉग और आखों में दर्द साफ जाहिर कर रहा है कि इकलौते बेटे की मौत के बाद उनपर क्या बीत रही है। वो अब अपनों को खोने से कितना डर रहे हैं।
खैर, ये तो हुई बस एक सीन की बात, लेकिन यकीन मानिए पंचायत-3 में आपको ऐसे कई सीन मिलेंगे जिसे देख आप इमोशनल हो जाएंगे। और हां, 'पंचायत' कब 'मिर्जापुर' में बदल जाएगा पता भी नहीं चलेगा।
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Published By : Ritesh Kumar
पब्लिश्ड 29 May 2024 at 10:54 IST