अपडेटेड 18 October 2024 at 15:58 IST

पिता को ब्रेन हेमरेज, डिप्रेशन फिर उबरकर पंचायत सीरीज की सफलता, दुर्गेश कुमार की जुबानी पूरी कहानी

दुर्गेश कुमार वो नाम है जो छोटे शहर से बड़े सपने लेकर मुंबई पहुंचे। रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में 'बनराकस' ने अपनी जिंदगी के कई किस्से बताए।

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panchayat durgesh kumar
दुर्गेश कुमार की पूरी कहानी | Image: Republic

Rashtra Sarvopari Sammelan: OTT वेब सीरीज 'पंचायत' के हर किरदार ने दर्शकों पर एक खास छाप छोड़ी है। प्रधान जी से लेकर सचिव जी, रिंकी और बिनोद तक हर किरदार खास है, लेकिन सीरीज में विलेन की तरह नजर आने वाले दुर्गेश कुमार यानी 'बनराकस' का नाम सबकी जुबान पर है। बनराकस पूरी वेब सीरीज में 'फुलेरा' गांव के प्रधान के खिलाफ नए-नए तिकड़म लगाते रहते हैं।

दुर्गेश कुमार वो नाम है जो छोटे शहर से बड़े सपने लेकर मुंबई पहुंचे थे। देश के सबसे बड़े न्यूज इवेंट रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में दुर्गेश कुमार ने अपनी जिंदगी के कई किस्से बताए। आज उनके करियर का ग्राफ सफलता की ऊंचाईयों को छू रहा है, लेकिन एक वक्त था जब उनके पास कोई काम नहीं था और वो डिप्रेशन में चले गए थे।

पिता को हुआ ब्रेन हेमरेज

अपने मुश्किल वक्त को याद करते हुए दुर्गेश कुमार ने रिपब्लिक भारत के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में बताया कि मुंबई में लंबे समय तक अगर आपको काम ना मिले, तो एक तरह की कुंठा हो जाती है। घर से पैसे आने थोड़ा कम हो गए, बाहर काम नहीं मिल रहा था। इसी दौरान मेरे पिताजी को ब्रेन हेमरेज हो गया। इसीलिए मैं बहुत दुखी हो गया था, मुझे लगा कि घर से जो पैसे आते थे, अब वह भी आने बंद हो जाएंगे। इसी दौरान मैं डिप्रेशन में चला गया और फिर मुझे मिली पंचायत, भक्षक और लापता लेडीज। 

लापता लेडीज के लिए कर दिया था मना

दुर्गेश कुमार ने बताया कि पिताजी को ब्रेन हेमरेज होने के बाद मैं पिता की सेवा करने के लिए घर चला गया था। लापता लेडीज में काम करने के लिए मैंने मना कर दिया था, मेरे भाई ने मुझे कहा कि पिता की सेवा मैं कर लुंगा, तू पैसे लेकर इलाज करा और काम कर। मैं उसी डिप्रेशन में काम करता रहा। आज हमारी फिल्म लापता लेडीज ऑस्कर में गई है। जब मैंने लापता लेडीज में काम करने के लिए मना किया तो मेरे भाई ने कहा कि दुर्गेश बड़ा मौका बार-बार नहीं मिलता। इसलिए मेरा मानना है कि कठिन समय आएगा, लेकिन उसे धीरे-धीरे जाने देना है। वह अपनी गति से चला जाएगा। हमें काम करते रहना चाहिए।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 18 October 2024 at 15:50 IST