अपडेटेड 17 February 2024 at 13:16 IST
संदेशखाली, शाहजहां शेख और Sunny Deol की फिल्म 'घातक'.... पूरी फिल्मी है बंगाल के इस हिस्से की कहानी
Sandeshkhali: जिस तरह संदेशखाली में शाहजहां शेख का आतंक था, उसी तरह फिल्म ‘घातक’ में कॉलोनी वाले कात्या का नाम सुनकर खौफजदा हो जाते थे।
- मनोरंजन समाचार
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Sandeshkhali: संदेशखाली… पश्चिम बंगाल का वो गांव जो इन दिनों खूब सुर्खियों में है। उत्तर 24 परगना जिले के इस गांव की कहानी शुरू हुई 5 जनवरी 2024 से जब ED की टीम टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर राशन घोटाला मामले में रेड करने पहुंची। तब शेख के लोगों ने टीम पर हमला कर दिया और टीएमसी नेता वहां से फरार हो गया। फिर उसके बाद जो हुआ, वो आपको सनी देओल की फिल्म ‘घातक’ की याद दिला देगा।
बता दें कि ED ने राशन घोटाला मामले में 5 जनवरी को बंगाल के 15 ठिकानों पर रेड की थी। एक टीम शाहजहां के घर जा रही थी लेकिन उसी दौरान TMC समर्थकों ने उन्हें घेर लिया और उनपर हमला कर दिया। तबसे ही शेख फरार है लेकिन उसके जाते ही गांववालों में हिम्मत आ गई है। गांव की महिलाएं आगे आकर उसके और उसके आदमियों द्वारा इतने सालों से किए जा रहे अत्याचारों की पोल खोल रही हैं।
संदेशखाली की महिलाओं को कैसे मिली हिम्मत?
जिस तरह संदेशखाली में शाहजहां शेख और उसके लोगों का आतंक था, उसी तरह 1996 में आई राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘घातक’ में कॉलोनी वाले कात्या का नाम सुनकर खौफजदा हो जाते थे। अब शेख के फरार होते ही संदेशखाली की महिलाएं सामने आने लगी हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में आपबीती सुनाई और दावा किया कि कैसे इतने सालों से टीएमसी नेता उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करके बैठ गया था। इतना ही नहीं, शेख और उसके लोग महिलाओं को उठाकर अपने ऑफिस ले जाते थे और कई दिनों तक उनका रेप करते थे।
महिलाओं ने बताया कि ‘कैसे टीएमसी के गुंडे घर-घर जाकर महिलाओं को उठाकर पार्टी ऑफिस ले जाते थे। उनका रेप करते और मन भरने पर वापस छोड़ जाते थे। अगर महिलाएं नहीं जाती तो उनके पतियों को बेरहमी से पीटा जाता’। ये अत्याचार गांववालों पर सालों से हो रहा था लेकिन इनके बारे में खुलकर बोलने की हिम्मत उन्हें अब मिली है, जब शेख और उसके आदमी फरार हो गए।
संदेशखाली में हुआ ‘घातक’ जैसा किस्सा!
जहां इतने सालों से पूरा गांव आतंक और डर के साए में जी रहा था, वहीं उसकी महिलाएं अब चेहरे पर नकाब डालकर सामने आ रही हैं। मीडिया में बयान दे रही हैं। गांववालों के दिलों से टीएमसी और उसके गुंडों का डर कम होता जा रहा है। ठीक उसी तरह, जैसे फिल्म ‘घातक’ में कात्या का डर खत्म हुआ था।
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जब सनी देओल के किरदार काशी नाथ ने कात्या को सरेआम चुनौती दी तो कॉलोनी के लोगों में भी हिम्मत आई। क्लाइमैक्स पूरी फिल्म का हाईलाइट था जब काशी गैंगस्टर कात्या के घर पहुंचता है। कात्या काशी को उसके पिता की तरह अपमानित करने की कोशिश करता है तो गौरी यानि मीनाक्षी शेषाद्रि उसके सामने खड़ी हो जाती है। फिर लोगों में भी हिम्मत आ जाती है और वह कात्या और उसके लोगों पर हमला कर देते हैं। इसी हमले में कात्या का भाई मारा जाता है। उसके बाद काशी कात्या को भी मार डालता है और कॉलोनी को उसके आतंक से आजादी मिल जाती है।
हालांकि, सवाल ये उठता है कि जिन अत्याचारों से संदेशखाली के लोग, खासतौर पर महिलाएं गुजर रही थीं, उनका हिसाब कौन देगा। राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। ऐसे में संदेशखाली की महिलाओं को इंसाफ कब मिलेगा।
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Published By : Sakshi Bansal
पब्लिश्ड 17 February 2024 at 12:15 IST