अपडेटेड 2 September 2023 at 09:50 IST
Cannes Film Festival में बजा लखटकिया फिल्म का डंका, 'बासन' ने जीता इंडिपेंडेंट बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड
फिल्म बासन एक फीचर फिल्म है जो विदेशी धरती पर अपने होने का एहसास करा रही है। चंबल की लोककथा को पर्दे पर उतारा गया है।
- मनोरंजन समाचार
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Baasan wins Cannes Film Festival: जितांक गुर्जर नाम के युवा डायरेक्टर ने एक फिल्म बनाने की सोची। चंबल की लोककथा को पटकथा में संजोया, दोस्तों से मदद ली और एक लाख रुपए जुटाए फिर स्थानीय कलाकारों को अभिनय के लिए चुना और तैयार कर ली बासन। ऑन लाइन बस यूं ही कांस फिल्म फेस्टिवल में एंट्री ली और जीत गए अवॉर्ड। बस इतनी सी कहानी है लेकिन बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स के साथ।
खबर में आगे पढ़ें-
- बेस्ट इंडिपेंडेंट फीचर फिल्म केटेगरी में अवॉर्ड
- ग्वालियर के नवोदित कलाकारों संग चंबल में की शूटिंग
- थियेटर में सक्रिय हैं डायरेक्टर जितांक, एक लाख में बनाई फिल्म
बासन गढ़ना आसान नहीं था...
बासन फिल्म की गूंज पूरी दुनिया में है। इसे गढ़ा है जितांक सिंह गुर्जर ने। मध्यप्रदेश के गांव चिटोली के रहने वाले हैं और ग्वालियर में रह थिएटर की बारिकियां समझ रहे हैं। फिल्म बनाने की सोची तो सबसे बड़ा मसला पैसों को लेकर था। स्क्रिप्ट तो बना ली लेकिन जो सोचा है उसे पूरा करने के लिए धन जुटाना भी कम बड़ी बात नहीं। अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में ही खुद को The Deceptionist कहने वाले जितांक ने दर्द और मुश्किल भरे सफर को बताया है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज करते हुए लिखा था-
ये किसी बुरे अनुभव से कम नहीं था...प्रोडक्शन बजट जुटाना...पटकथा लिखना, जंगलों में खतरनाक जंतुओं और चंबल के डाकुओं के डर के बीच शूट करना, वो भी बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के...एक और बात क्यों हमारी टीम में नवोदित कलाकार थे तो उनके साथ काम करना भी कम जोखिम भरा नहीं था...लोककलाकारों को जुटाना... गांव वालों से मिन्नतें करना...ये सब कुछ सपने सरीखा था लेकिन पूरा हुआ...और अब इसका श्रेय पूरी टीम को जाता है।
लखटकिया फिल्म
आज जब फिल्में करोड़ों में बनती है तो इसी दौर में एक फीचर फिल्म एक लाख रुपए में बन जाए ये सोच से परे है। लेकिन बासन ने ये भी कर दिखाया। लोककथा से प्रेरित हो उन्होंने दफीना ( गढ़े हुए खजाने ) की खोज में रहने वाले लोगों की मनस्थिति पर एक दिलचस्प कहानी लिखी और पटकथा भी लिखी। फिल्म बनाने की सोची लेकिन बजट का मसला था।
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बजट को बड़ा न करने और सीमित करने की सोच संग उन्होंने स्थानीय कलाकारों को तैयार किया। डायरेक्शन की कमान खुद संभाली। पूरी शूटिंग ग्वालियर से सटे पनिहार में की और दोस्तों की मदद से एक लाख जुटाकर फिल्म बना डाली। फिर स्क्रीनिंग में भी दोस्तों की मदद ली। ही ग्वालियर के एक हॉल में स्क्रीनिंग करवाई। जिसने भी देखा उसने तारीफ की और फिर राहत मिली।
कांस का सफर
हौसला बढ़ा तो बासन को तमिलनाडु में आयोजित होने वाले अथविकवरुडी फिल्म फेस्टिवल लेकर पहुंचे। यहां भी दो अवार्ड जीत लिया। इसी बीच कांस फिल्म फेस्टिवल के लिए ऑनलाइन फिल्म की एंट्री मांगी गई तो जितांक ने वहां भी हाथ आजमा लिया। कड़ी मेहनत और किस्मत ने साथ दिया तो बासन का डंका बज गया। फिल्म ने कांस फिल्म फेस्टिवल में इंडिपेंडेंट बेस्ट फीचर फिल्म केटेगरी का अवार्ड अपने नाम कर लिया। कांस वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल ऑर्गनाइजेशन ने अचानक जितांक को सूचना दी तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ।
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जितांक का कहना है- "मुझे कान्स से इसके सर्टिफिकेट मेल से भेजे गए हैं और आगे दिसंबर में होने वाले फिल्म फेस्टिवल के होने वाले समारोह में बुलाया जाएगा, जिसमें फिल्म की स्क्रीनिंग भी की जाएगी।"
जितांक की फिल्म बासन को विश्व स्तरीय फिल्म प्रतियोगिता इंडो फ्रेंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में भी 5 अवॉर्ड हासिल हुए हैं, जिनमें- बेस्ट इंडियन फीचर फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्क्रीन प्ले, बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर,और बेस्ट ट्रेलर का अवॉर्ड शामिल है.
Published By : Kiran Rai
पब्लिश्ड 2 September 2023 at 09:49 IST