अपडेटेड 14 December 2022 at 10:57 IST

'Raj Kapoor जैसा कोई नहीं'… पिता के स्टूडियो में झाड़ू लगाने वाले राज कपूर कैसे बने ‘भारतीय सिनेमा के शोमैन’

Raj Kapoor Birthday: राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को एक पंजाबी हिंदू परिवार में पेशावर में हुआ था।

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| Image: self

Raj Kapoor Birthday: बॉलीवुड में किसी भी अन्य मूवी इंडस्ट्री की तुलना में एक साल में सबसे ज्यादा फिल्में बनाई जाती हैं। जब दादा साहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की नींव रख रहे थे, तब उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन जाकर इसकी फिल्में वैश्विक स्तर पर धमाल मचाएंगी। आज जब हम बॉलीवुड (Bollywood) की बात करते हैं तो राज कपूर साहब (Raj Kapoor) का जिक्र जरूर आता है जिनकी बदौलत आज दुनियाभर में हिंदी फिल्में (Hindi Films) मशहूर हैं। 

राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को एक पंजाबी हिंदू परिवार में पेशावर में हुआ था। दिग्गज कलाकार पृथ्वीराज कपूर और रामसरनी देवी कपूर के बेटे के रूप में जन्मे राज परिवार में छह बच्चों में सबसे बड़े भाई थे। दिवंगत अभिनेता शशि कपूर और शम्मी कपूर उनके भाई थे। बता दें कि राज पहले अपने पिता के स्टूडियो में एक रूपए प्रति महीने की पगार पर झाड़ू लगाने का काम करते थे। तब उनकी प्रतिभा को केदार शर्मा ने पहचाना और अपनी फिल्म ‘नील कमल’ में हीरो का रोल दिया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि जब राज ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो उनकी उम्र महज 11 साल थी। 1935 में वह पहली बार हिंदी फिल्म ‘इंकलाब’ में दिखाई दिए। हालांकि, उन्हें बड़ा ब्रेक 1947 में मिला जब उन्होंने आइकोनिक अदाकारा मधुबाला के साथ ‘नील कमल’ में काम किया।

24 साल की उम्र में शुरू किया था आरके स्टूडियो

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जहां 24 साल की उम्र में कलाकार बिना जोखिम उठाए अपना सारा फोकस एक्टिंग पर रखते हैं, वही राज ने ये साबित कर दिया कि वे सबसे अलग थे। उन्होंने आर के फिल्म्स (R. K. Films) नाम से अपना स्टूडियो स्थापित किया जिसके साथ वे अपने समय के सबसे कम उम्र के फिल्म निर्देशक भी बन गए।

बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म ‘आग’ थी जिसमें उन्होंने नरगिस, कामिनी कौशल और प्रेमनाथ के साथ अभिनय किया। हालांकि, एक्टर के रूप में उनकी सबसे बड़ी सफलता आई 1949 में जब उन्होंने फिल्म ‘अंदाज’ में अपने शानदार अभिनय से सभी का दिल जीत लिया। फिर एक साल बाद फिल्म ‘बरसात’ के चलते उन्हें निर्माता, निर्देशक और स्टार के रूप में अपनी पहली सफलता हाथ लगी। अपने कई दशकों के करियर में उन्होंने ‘आवारा’, ‘आह’, ‘श्री 420’, ‘जागते रहो’ और ‘जिस देश में गंगा बहती है’ जैसी कई हिट फिल्मों का निर्माण किया। जब रंगीन फिल्में बननी शुरू हुईं तो 1964 में निर्माता, निर्देशक और अभिनेता के रूप में उनकी पहली हिट फिल्म ‘संगम’ थी।

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वैश्विक स्तर पर लहराया भारतीय सिनेमा का परचम

वह ‘भारतीय सिनेमा के ग्रेटेस्ट शोमैन’ (Greatest Showman of Indian Cinema) के रूप में भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने 1951 में ‘आवारा’ और 1954 में ‘बूट पोलिश’ का निर्माण किया और उनकी दोनों ही फिल्में कान्स फिल्म फेस्टिवल में पाल्मे डी'ओर भव्य पुरस्कार के लिए नॉमिनेट हुईं। टाइम पत्रिका ने आवारा में उनके परफॉर्मेंस को "वर्ल्ड सिनेमा में अब तक के टॉप टेन ग्रेटेस्ट परफॉर्मेंस" में से एक माना था। राज कपूर की लोकप्रियता इतनी फैली हुई थी कि उन्हें 1965 में चौथे मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जूरी का सदस्य भी चुना गया था। 

उनकी फिल्में दक्षिण/मध्य/दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्व सोवियत संघ/ब्लॉक, चीन, मध्य पूर्व और अफ्रीका में भी लोकप्रिय थीं। उन्होंने अपने करियर में कई ग्लोबल हिट फिल्में दी। ऐसा भी कहा जाता था कि वह चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) से प्रेरित थे। उन्होंने ‘आवारा’ और ‘श्री 420’ जैसी फिल्मों में ‘द ट्रैम्प’ पर आधारित किरदार निभाए जिसके बाद उन्हें ‘भारतीय सिनेमा के चार्ली चैपलिन’ (Charlie Chaplin of Indian cinema) के रूप में भी जाना जाने लगा।

सिनेमा में उनके अपार योगदान के लिए भारत सरकार ने 1971 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। फिर 1987 में उन्हें सिनेमा में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार 'दादासाहेब फाल्के पुरस्कार' (The Dadasaheb Phalke Award) से नवाजा गया।

गौरतलब है कि अपने आखिरी पलों में राज अस्थमा से पीड़ित थे जिसके चलते उन्होंने 1988 में 63 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बता दें कि वह नई दिल्ली में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार लेने के लिए एक कार्यक्रम में पहुंचे थे जहां वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। राज कपूर ने अपने पीछे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी विरासत छोड़ी है। उनके जैसा महान कलाकार इस जहान में एक बार ही जन्म लेता है।

(Images- Twitter)

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 14 December 2022 at 10:51 IST