अपडेटेड 13 December 2025 at 14:15 IST

‘रहमान डकैत हमारा हीरो, चौधरी असलम बुजदिल…’; Dhurandhar देख पाकिस्तानियों का ऐसा था रिएक्शन, बोले- केवल 25% सच दिखाया

Pakistan Reaction on Dhurandhar: रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना की ‘धुरंधर’ का दबदबा दुनियाभर में देखने के लिए मिल रहा है। पाकिस्तान में लोगों ने ‘धुरंधर’ को मिक्स्ड रिव्यू दिए हैं।

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Pakistan Reaction on Dhurandhar
Pakistan Reaction on Dhurandhar | Image: instagram

Pakistan Reaction on Dhurandhar: रणवीर सिंह और अक्षय खन्ना की ‘धुरंधर’ का दबदबा दुनियाभर में देखने के लिए मिल रहा है। भारत में तो फिल्म देखने के बाद लोग इसे अपने जेहन से निकाल नहीं पा रहे हैं और थिएटर में एक-एक सीन पर खूब तालियां और सीटियां बजा रहे हैं। हालांकि, ऐसा हाल पाकिस्तान में नहीं है। वहां लोगों ने ‘धुरंधर’ को मिक्स्ड रिव्यू दिए हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई ने पाकिस्तान के लोगों से बात की। उसने खासतौर पर कराची के ल्यारी इलाके के लोगों से उनका रिव्यू जाना जहां आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ सेट है। 

‘धुरंधर’ देख क्या बोले पाकिस्तानी?

एक पाकिस्तानी ने कहा कि “ल्यारी में डकैत जैसा कुछ नहीं है। ‘धुरंधर’ में केवल 25% सच ही दिखाया गया है। हम रहमान डकैत को खान भाई या रहमान बलूच कहकर बुलाते थे। वो ल्यारी वालों के लिए अच्छा था। यहां के लोग उनके बारे में अच्छा ही बोलेंगे। वो जो करता था, ल्यारी से बाहर करता था”। 

उसने आगे एसपी चौधरी असलम के किरदार पर निराशा जताई और कहा कि ‘धुरंधर में उसे हीरो की तरह दिखाया गया है। उसे ओवरहाइप किया गया है’। ऐसा ही कुछ एक अन्य पाकिस्तानी ने भी कहा। उसने साफ कहा कि ‘चौधरी असलम बिल्कुल भी निडर नहीं था। वो एक बुजदिल पुलिसवाला था। फिल्म में 8 दिन की जंग दिखाई ही नहीं। चौधरी असलम चील चौक के साइड खड़े थे, ल्यारी के अंदर तो एंट्री मार ही नहीं पाए’।

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‘रहमान डकैत नहीं, हमारे भाई थे’

ल्यारी के अन्य शख्स ने कहा कि ‘फिल्म में चौधरी असलम को वन मैन आर्मी दिखाया गया जैसे एक बंदा ही घुसकर सब करता है। जबकि वो 8 दिन की लड़ाई में चील चौक से आगे ही नहीं बढ़े’। उसने फिल्म के एक्शन सीन्स की तारीफ की और आगे कहा कि ‘रहमान डकैत नहीं थे, वो भाई थे। वो इलाके के लिए अच्छे थे’। 

एक ने रहमान डकैत की तारीफ करते हुए कहा कि “जैसा ‘धुरंधर’ में उन्हें दहशतगर्द दिखाया गया है, वो वैसे नहीं थे। वो अच्छों के लिए अच्छे और बुरे के लिए बुरे थे”। उसे फिल्म में ये पसंद आया कि इसमें बलूचों को प्रमोट किया गया था। शहरों का नाम लिया गया था जो उसे अच्छा लगा। उसे फिल्म और उसकी कास्टिंग काफी पसंद आई।

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Published By : Sakshi Bansal

पब्लिश्ड 13 December 2025 at 14:00 IST