अपडेटेड 16 August 2021 at 20:35 IST

Birthday special: मनीषा कोइराला की फिल्म "द एस्केप फ्रॉम तालिबान", वर्तमान अफगानिस्तान की दिखती है झलक

मनीषा कोइराला की फिल्म 'द एस्केप फ्रॉम तालिबान' में तालिबानी के आंतक पर आधारित एक लड़की की कहानी बयां करती है। जो वर्तमान अफगानिस्तान की याद दिलाती है।

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IMAGE- #ESCAPE FROM TALIBAN'S INSTAGRAM | Image: self

भारतीय सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक मनीषा कोइराला आज साल 16 अगस्त को अपना 51वां जन्मदिन मना रही हैं। अभिनेत्री को मान, दिल से.., बॉम्बे जैसी फिल्मों में उनके दमदार किरदार के लिए जाना जाता है। उनकी सबसे यादगार और दिल दहला देने वाली फिल्म 'एस्केप फ्रॉम तालिबान' है। जिसमें अफगानिस्तान की वर्तमान हालात की झलक है। 

अफगानिस्तान सरकार ने 20 साल बाद तालिबान के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनीषा कोइराला की फिल्म  'द एस्केप फ्रॉम तालिबान' में अफगानिस्तान में तालिबानी के आंतक पर आधारित के लड़की की कहानी बयां करती है। 

'द एस्केप फ्रॉम तालिबान’ की कहानी 

ये फिल्म सुष्मिता बनर्जी की लिखी आत्मकथा ‘अ काबुलवालाज बंगाली वाइफ’ पर आधारित है। इसमें कोलकाता की रहने वाली सुष्मिता की कहानी है। अफगानिस्तान से व्यापार के लिए भारत आए एक बिजनेसमैन जांबाज खान के साथ सुष्मिता की एक थिएटर रिहर्सल के दौरान मुलाकात होती है और फिर उन्हें प्यार हो जाता है। दोनों सबसे छुप कर कुछ दिन बाद शादी कर लेते हैं, लेकिन जैसे ही इस शादी के बारे में सुष्मिता के घरवालों को पता चलता है, वो उनका तलाक कराने की कोशिश करने लगते हैं।

सुष्मिता कोलकाता छोड़ अपने पति के साथ उसके घर अफगानिस्तान चली जाती है। वहां जाकर उसे पता चलता है कि जांबाज ने पहले भी एक शादी कर रखी है, तब उनका दिल टूट जाता है, लेकिन तालिबानी जुल्मों के कारण अब वो वापस भी नहीं जा सकती थी। हार कर वो जांबाज के बाकी परिवार के साथ रहने लगती है।

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वहां रहते हुए सुष्मिता अपने परिवार और गांव की महिलाओं को अपने पतियों की मनमानी का विरोध और अपने हक की आवाज उठाने के लिए जागरूक करने लगती है। सुष्मिता की महिलाओं को जागरूक करने वाली बात, जब तालिबानियों तक पहुंचती है तो वो उसपर बहुत ज़ुल्म ढाते हैं।

कुछ साल बाद गांव की मुखिया की मदद से सुष्मिता वहां से भागने में कामयाब हो जाती हैं। भारत आकर सुष्मिता ने 1995 में अपनी ये कहानी लिखी थी।  जिसपर 2003 में डायरेक्टर उज्जल चट्टोपाध्याय ने ‘द एस्केप फ्रॉम तालिबान’ फिल्म बनाई। फिल्म में सुष्मिता का रोल मनीषा कोइराला ने और जांबाज खान का रोल नवाब शाह ने प्ले किया है। 

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2012 तक सुष्मिता बनर्जी भारत में ही रही। 2013 में वो वापस अफगानिस्तान अपने गांव जाकर जनसेवा करने लगी। जहां कुछ दिनों बाद तालिबान ने उनकी हत्या कर दी। 

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यह फिल्म 2003 में रिलीज हुई थी और इसका निर्देशन उज्ज्वल चट्टोपाध्याय ने किया था। नवाब शाह, विनीता मलिक, पृथ्वी जुत्शी और एली खान स्टारर मनीषा कोइराला ने फिल्म में सुष्मिता बनर्जी की भूमिका निभाई थी। जिन्हें सैयद कमला के नाम से भी जाना जाता है। फिल्म में बाबुल बोस द्वारा ऐ जाने जा, तितली सी उड़ चली, जीते हैं यहां और रिमिल बाबा जैसे ईमोशनल गाने भी हैं। फिल्म को 'तालिबान के खिलाफ हिम्मत करने वाली महिला की कहानी' के रूप में फिल्माया गया गया था।

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Published By : Nisha Bharti

पब्लिश्ड 16 August 2021 at 20:23 IST