अपडेटेड 3 May 2023 at 13:52 IST
कौन थीं Karnataka की रानी अब्बक्का? PM Modi ने सभा में जिक्र किया तो जयकारों की गूंज
पीएम मोदी ने अपनी सभा में जिस रानी अब्बक्का की बहादुरी का जिक्र किया आइए जानते हैं कि वह कौन थीं?
- चुनाव न्यूज़
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PM Modi Praises Rani Abbakka Warrior Queen: कर्नाटक के मुदबिद्री में पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने रानी अब्बक्का का जिक्र किया। उन्होंने उनकी बहादुरी के बारे में बताते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
पीएम मोदी ने कहा, 'रानी अब्बक्का जैसी वीरांगनाओं ने ये दिखाया कि हमारी बेटियों का सामर्थ्य क्या है। लेकिन कांग्रेस के कुशासन ने हमारी मातओं, बहनो को सिर्फ अभाव में जीने के लिए मजबूर किया। कांग्रेस हर समस्या को बनाए रखना चाहती थी ताकि गरीब उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े रहे।'
आईए बताते हैं कि पीएम मोदी ने जिस बहादुर रानी अब्बक्का का जिक्र अपनी जनसभा में किया आखिर वो कौन थीं? उनका इतिहास क्या है?
कर्नाटक के उल्लाल नगर के प्रसिद्ध चौटा घराने में में जन्मी रानी अब्बक्का का पूरा नाम अभया रानी अब्बक्का चौटा था। उन्होंने उल्लाल नगर में साल 1525-1570 तक शासन किया था। अब्बक्का मॉर्डन इतिहास में यूरोपियों से स्वतंत्रता संग्राम करने वाली पहली योद्धा रानी थीं। अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई से करीब 300 साल पहले रानी अब्बक्का ने पुर्तगाली फिरंगियों से लड़ाई लड़ी।
रानी अब्बक्का ने क्यों संभाला सिंहासन?
उस दौर में उल्लाल पर चौटा वंश का राज था। उस दौर में मातृवंशीय परंपरा थी। इसी परंपरा के हिसाब से राजगद्दी पर अब्बक्का रानी को बैठाया गया। अब्बक्का ने बचपन से ही सामरिक घुड़सवारी, तलवारबाजी और बाण-धनुष चलाना सीखा था। वह लोक प्रशासन और कमर्शियल आर्ट्स में भी माहिर थीं। उनकी बहादुरी के चलते उन्हें अभया रानी का टैग दिया गया था। उनकी रणनीति और समझ को देखते हुए कहा जाता था कि वह दुश्मनों को धूल चटाने में माहिर थीं।
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पुर्तगालियों को दी थी करारी शिकस्त
इतिहास के मुताबिक, रानी अब्बक्का ने मंगलुरु की बंगा रियासत के राजा लक्षमप्पा अरसा संग शादी की थी। लेकिन पति से रिश्ते खराब होने के बाद अलग हो गईं और वापस उल्लाल आ गईं। ऐसे में पुर्तगाल के व्यापारी हिंद महासागर के समुद्री रास्तों पर कब्जा करने के बाद भारत को हथियाने की कोशिश में थे। तब उनके पति ने पुर्तगालियों का समर्थन किया। साल 1525 के आस-पास पुर्तगालियों ने दक्षिण कन्नड़ के तट पर हमला किया और मैंगलुरु के बंदरगाह को तबाह कर दिया। इसके बावजूद रानी अब्बक्का ने हार नहीं मानते हुए पुर्तगालियों को हराया।
आज भी किया जाता है रानी अब्बक्का को याद
कर्नाटक में रानी अब्बक्का को आज भी याद किया जाता है। उल्लास नगर में ‘वीर रानी अब्बक्का उत्सव’का आयोजन होता है। इस आयोजन में बहादुरी की मिसाल पेश करने वाली महिलाओं को वीर रानी अब्बक्का प्रशस्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
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Published By : Priyanka Yadav
पब्लिश्ड 3 May 2023 at 13:42 IST