अपडेटेड 24 May 2024 at 14:07 IST

छठे चरण के मतदान से पहले बड़ी खबर, 48 घंटे में वोटिंग डाटा सार्वजनिक करने की मांग पर SC का इनकार

वोटिंग डाटा सार्वजनिक करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। कोर्ट ने याचिका की टाइमिंग पर सवाल उठाए।

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Supreme Court, Election Commission of India
सुप्रीम कोर्ट ने वोटिंग डाटा वाली याचिका पर बड़ी टिप्पणी की। | Image: ANI/PTI

Supreme Court: 18वीं लोकसभा के लिए देश में जारी चुनाव प्रक्रिया के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मतदान आंकड़ों से जुड़ी याचिका पर अपना फैसला दे दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत में वोटिंग खत्म होने के बाद 48 घंटे के भीतर वोटिंग का डाटा सार्वजनिक किए जाने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई थी। शुक्रवार को इस याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल दखल देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस चरण में हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा है और गर्मियों की छुट्टियों के बाद उचित बेंच सुनवाई करेगी।

18वीं लोकसभा के लिए देश में चुनाव प्रक्रिया जारी है। इसी बीच मतदान के आंकड़ों को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी बीच ADR और महुआ मोइत्रा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने याचिका दायर करने के टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया। जस्टिस दत्ता ने ADR की  याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाया।

जस्टिस दीपांकर ने लगाई याचिकाकर्ता को फटकार

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यों की गई? जस्टिस दीपांकर दत्ता ने ADR के वकील दुष्यंत दवे से कहा कि हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं, कुछ पब्लिक इंटरेस्ट में होती हैं कुछ पब्लिसिटी इंटरेस्ट में होती हैं। लेकिन हम आपको ये कह सकते हैं कि आपने यह याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दायर नहीं किया है। 

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चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया और कहा कि ये कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है। चुनाव चल रहे हैं और ये इस तरह बार-बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं। चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए। इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे।

चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। यह आरोप पूरी तरह से गलत है। चुनाव जारी है और आयोग को लगातार बदनाम किया जा रहा है। चुनाव आयोग की ओर से वकील ने कहा कि करोड़ों लोग मतदान कर चुके हैं। इस तरह की झूठी आशंकाओं पर आधारित याचिका चुनाव प्रकिया की गरिमा पर चोट पहुंचाती है। इस तरह के संदेहों से लोगों का भरोसा कमजोर हो सकता है। उनकी भागीदारी कम हो सकती है। कोर्ट को निहित स्वार्थी तत्वों की ओर से हो रही ऐसी कोशिश से सख्ती से निपटना चाहिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि वोटर टर्नआउट के फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। ये आरोप पूरी तरह से गलत है।

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कोर्ट ने फिलहाल दखल देने से इनकार किया

चुनाव आयोग की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि 26 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट EVM पर सवाल उठाने वाले याचिकाकर्ता की अर्जी को खारिज कर चुका है। उस समय भी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फॉर्म 17C और उससे जुड़े पहलुओं पर विचार किया था, लेकिन यहां याचिकाकर्ता (ADR) ने कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में फिलहाल दखल देने से इनकार कर दिया।

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Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 24 May 2024 at 14:07 IST