अपडेटेड 6 April 2024 at 17:55 IST

सहारनपुर-गाजियाबाद टू अजमेर, मोदी की धुंआधार रैली, INDI में पूर्णिया टू मुंबई रार; कौन कितना तैयार?

BJP vs INDI Alliance: बीजेपी मतलब प्रधानमंत्री मोदी और विपक्ष मतलब INDI गठबंधन के बीच चुनावी तैयारियों, रणनीतियों के अंतर साफ-साफ दिखते हैं।

Follow : Google News Icon  
PM Narendra Modi vs INDIA Alliance
प्रधानमंत्री मोदी और INDIA Alliance के नेता | Image: File

Lok Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी को तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद है। इसी इरादे से पार्टी मैदान में उतरी है। लक्ष्य बड़ा है तो बीजेपी की रणनीति के अनुकूल देश में माहौल दिखता है। एक वजह ये भी है कि बीजेपी की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभाले हैं, जो धुंआधार रैलियों और सभाओं के जरिए बीजेपी के चुनावी कैंपेन को धार दे रहे हैं। इसके ठीक उलट देशभर में विपक्ष की स्थिति है, जो अभी तक एकजुटता की बात केंद्र के लिए तो करता है, लेकिन राज्यों में यही दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है।

विपक्ष के सामने बीजेपी का 'प्रेशर गेम' है तो प्रधानमंत्री मोदी जैसा चेहरा है, जिसकी काट पूरे INDI गठबंधन के भीतर नहीं है। चुनाव प्रचार में भी INDI गठबंधन कहीं दिख नहीं रहा है, जबकि बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले ही हर दिन दो-तीन रैलियां कर रहे हैं। अंदाजा लगा लीजिए कि शनिवार को उत्तर प्रदेश में दो बड़ी रैलियां प्रधानमंत्री की रही हैं। पहली सहारनपुर और दूसरी रैली दिल्ली से सटे गाजियाबाद में हैं। राजस्थान के अजमेर में भी मोदी ने हुंकार भरी है। नरेंद्र मोदी के अलावा भी बीजेपी के तमाम धुरंधर नेता अपनी पार्टी के पक्ष में तूफान खड़ा कर रहे हैं।

बीजेपी के 'प्रेशर गेम' में फंसा INDI गठबंधन!

इधर, विपक्ष सत्ताधारी बीजेपी के 'प्रेशर गेम' में ऐसा फंसा है कि संभलना मुश्किल हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के सामने '400 पार' की लाइन खींच चुके हैं। ये ऐसी रेखा बन चुकी है, जिसे छूना तो दूर पूरा विपक्ष मिलकर भी इसके इर्द-गिर्द भी फटकता नहीं दिखता है। नरेंद्र मोदी और बीजेपी के मुकाबले INDI गठबंधन की चुनावी तैयारी भी ना के बराबर लगती है। उसकी एक वजह अंतर्कलह भी है। क्योंकि पूर्णिया से मुंबई तक INDI के भागीदार, जहां एकता और मजबूती की जरूरत है, उस समय में एक दूसरे को ही दूर भगा रहे हैं।

बीजेपी नेता गौरव भाटिया कहते हैं- 'घमंडिया गठबंधन में अभी तक आपस में समन्वय नहीं बन पाया। राहुल गांधी और 40 चोर मिलकर भी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सामने टिक नहीं सकते।'

Advertisement

यह भी पढ़ें: राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से 370 हटाना, सीएए- सब पूरा... आम चुनाव के बाद मोदी सरकार आएगी तो अब क्या?

'सीट बंटवारा INDI के लिए रहा सिरदर्द'

INDI गठबंधन के लिए सबसे मुश्किल एकता का 'कच्चा धागा' है, जिसमें गांठ ही गांठ दिखती हैं। बाकी INDI की डूबती नैया का एक कारण सीट बंटवारा बना है, जिसने पूर्णिया और मुंबई जैसी तमाम सीटों के लिए गठबंधन की पार्टियों के बीच मतभेद का ढक्कन खोला। जब इन दलों में विवाद का ढक्कन खुला तो संजय निरुपम जैसे कुछ नेता मौके पाते ही चलते बने। क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी के साथ-साथ पूरे INDI गठबंधन का भविष्य दिख रहा था। कुछ नेताओं की महत्वकांक्षाएं पार्टियां समझ नहीं पाई हैं, जो संगठनों की नाकामी को साफ दर्शाती हैं।

Advertisement

हालांकि विपक्ष के दल INDI गठबंधन को एकजुट बताते हैं। पीएल पुनिया कहते हैं- 'न्याय की लड़ाई में गठबंधन एकजुट होकर जनता के मुद्दों के लिए लड़ेगा। जब जुड़ेगा भारत, तो जीतेगा INDIA।' आम आदमी पार्टी कहती है- 'INDI गठबंधन तानाशाह के खिलाफ एकजुट है।'

INDI पार्टियों में टूट, सबसे बड़ी 'नाकामी'!

इतना ही नहीं, पूरे देश में अगर पिछले दो महीनों की राजनीतिक उथल-पुथल को जरा देख लिया जाए तो सटीक गिनती तो नहीं है, लेकिन इतना है कि सैकड़ों दिग्गज नेता ऐसे हैं, जिन्होंने बीजेपी को अपना ठिकाना बना लिया है। इन दिग्गज नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्रियों से लेकर सांसद, पूर्व सांसद, अलग-अलग संगठनों में उच्च पदों पर बैठे नेता तक शामिल हैं। इसके ठीक उलट विपक्ष की स्थिति दिखती है। वजह यही है कि बीजेपी में जिन नेताओं की भरमार हो रही है, वो INDI गठबंधन के दलों कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी जैसे संगठनों से ही भागकर आए हैं। मतलब ये है कि विपक्षी पार्टियां खुद को मजबूत करना तो दूर, अपने संगठनों में हो रही टूट को भी रोक नहीं पा रही हैं।

'मुद्दों के मुद्दे पर BJP से पिछड़ा INDI गठबंधन'

अगर मुद्दों की बात कर ली जाए तो बीजेपी राम मंदिर, आर्टिकल 370 जैसे फैसलों को लेकर फ्रंटफुट पर खेल रही है। बीजेपी के पास गिनाने के लिए राज्य-दर राज्य मुद्दे हैं। रैलियों से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस या छोटी सभाओं में बीजेपी पिछले 10 साल का रिपोर्ट कार्ड जनता के बीच रख रही है। विपक्ष मुद्दों के मुद्दे पर भी बीजेपी से पिछड़ा हुआ है। इसकी एक वजह ये है कि INDI गठबंधन ‘मोदी विरोध’ में एकता तो दिखाता है, लेकिन इनका एजेंडा एक नहीं हैं। INDI गठबंधन की हरेक पार्टी अपने-अपने एजेंडे को लेकर आगे बढ़ रही है।

'INDI गठबंधन से बहुत आगे है BJP'

कुल मिलाकर विपक्ष के सामने समस्याएं 'एक नहीं, बल्कि अनेक' हैं। शायद इसको INDI गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार पहले ही भांप गए थे और बिना देर किए पलटी मार ली। फिलहाल ये सब बीजेपी मतलब प्रधानमंत्री मोदी और विपक्ष मतलब INDI गठबंधन के बीच चुनावी तैयारियों, रणनीतियों के अंतर को साफ-साफ दिखाता है।

यह भी पढ़ें: 'मोरे राम, ढूंढो मोरे राम...' राम भजन में मगन हुए फारूक अब्दुल्ला... लगाए 'माता रानी' के जयकारे

Published By : Amit Bajpayee

पब्लिश्ड 6 April 2024 at 17:14 IST