अपडेटेड 14 March 2024 at 17:23 IST
UP: 'कैसे कह दूं मुलाकात नहीं होती, रोज...' नाराजगी की चर्चा के बीच बदायूं में उतरे Shivpal Yadav
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव Shivpal Yadav बदायूं से टिकट मिलने के बाद आज पहली बार वहां जा रहे हैं। उन्होंने खुद सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी दी।
- चुनाव न्यूज़
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Lok Sabha Polls : समाजवादी पार्टी के नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव नाराजगी की चर्चाओं के बीच अब बदायूं के चुनावी रण में उतर आए हैं। अखिलेश यादव ने अपने चाचा को बदायूं लोकसभा सीट से टिकट दिया है। हालांकि कुछ दिनों से चर्चाएं ये थीं कि शिवराज सिंह यादव को बदायूं से टिकट मिलना पसंद नहीं आया है। वो बदायूं से उतारे जाने से नाराज हैं। इस बात को तब और हवा लगी, जब टिकट मिलने के बावजूद वो अभी तक अपने क्षेत्र में नहीं गए। हालांकि नाराजगी की चर्चाओं के बीच शिवपाल यादव अब बदायूं पहुंच रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वो इस सीट से जीतकर आएंगे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव बदायूं से टिकट मिलने के बाद आज पहली बार वहां जा रहे हैं। उन्होंने खुद सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी है। शिवपाल ने 'X' पर लिखा- 'आज से बदायूं लोकसभा क्षेत्र में जनसम्पर्क हेतु यात्रा पर हूं। मेरा इस क्षेत्र से दशकों पुराना आत्मीय रिश्ता है। मन में बदायूं से जुड़े ढेरों किस्से और यादें हैं।' बदायूं पहुंचने से पहले शिवपाल यादव का शायराना अंदाज भी नजर आया है। उन्होंने लिखा- 'शकील बदायूनी साहब के शब्दों में...कैसे कह दूं कि मुलाकात नहीं होती है, रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है।'
बदायूं की सीट को जीतकर आऊंगा: शिवपाल यादव
मैनपुरी में पत्रकारों ने जब पूछा कि भतीजे (धर्मेंद्र यादव) की टिकट काटकर आपको दी है, किस तरह का होगा बदायूं का चुनाव? इस पर जवाब देते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि पार्टी का आदेश मिला है। आज मैं बदायूं जा रहा हूं और बदायूं की सीट को जीतकर आऊंगा। उन्होंने ये भी कहा कि समाजवादी पार्टी के सभी प्रत्याशी जीतेंगे। कई ऐसी सीट है, जिस पर प्रत्याशी तक बीजेपी को नहीं मिल रहे हैं।
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धर्मेंद्र यादव की जगह शिवपाल को मिला बदायूं से टिकट
समाजवादी पार्टी ने बदायूं से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर शिवपाल को प्रत्याशी बनाया है। बदायूं लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। 1996 से 2009 तक इकबाल शेरवानी सपा सांसद रहे। फिर 2009 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव बदायूं से चुनाव लड़े और सांसद बने। 2014 में भी धर्मेंद्र यादव इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार संघमित्रा मौर्य की 2019 में जीत से तस्वीर बदल चुकी है। मौजूदा परिस्थितियों में सपा के लिए बदायूं में हालात अनुकूल दिखाई नहीं पड़ते हैं।
सपा ने बदायूं से शिवपाल को क्यों उतारा?
स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने और इकबाल शेरवानी की बगावत के बीच धर्मेंद्र का यहां जीतना मुश्किल हो सकता था। वो इसलिए कि सलीम इकबाल शेरवानी का समाजवादी पार्टी से मोहभंग होने का असर बदायूं में दिख सकता है। शेरवानी बदायूं से 5 बार सांसद रहे हैं। अभी अगर इकबाल शेरवानी दूसरे दल से टिकट लेकर आ गए तो समीकरण बदल जाएंगे।
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इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्या समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। इसका असर भी बदायूं में पड़ सकता है। इसे ऐसे समझिए कि स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा मौर्य मौजूदा वक्त में बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं। मौर्य के सपा में रहते संघमित्रा के सामने चुनौती रहती, लेकिन अभी स्वामी प्रसाद के सपा छोड़ने का फायदा संघमित्रा को मिलना तय है।
शायद इसीलिए शिवपाल को सपा ने टिकट दिया। माना जाता है कि शिवपाल यादव की छवि लोगों के बीच मुलायम सिंह यादव की तरह ही है और इसी वजह है कि उनका जमीनी नेटवर्क भी मजबूत है। ऐसे में मुलायम के भाई होने की भावना और शिवपाल की अपनी छवि बदायूं की विपरीत सियासी परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी के लिए खेवनहार हो सकती है।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 14 March 2024 at 11:33 IST