अपडेटेड 16 April 2024 at 14:44 IST
मनीष कश्यप ने शुरू किया प्रचार, इस सीट से ठोकेंगे ताल, जहां कभी महात्मा गांधी ने किया था सत्याग्रह
मनीष कश्यप पश्चिमी चंपारण में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए वो लगातार प्रचार करने में लगे हैं।
- चुनाव न्यूज़
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Manish Kasyap: बिहार में यूट्यूबर मनीष कश्यप के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। मनीष कश्यप को अभी तक किसी राजनीतिक दल से टिकट तो नहीं मिला है, लेकिन ये तय समझा जा रहा है कि वो चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। पश्चिमी चंपारण में जिस तरह मनीष कश्यप हुंकार भर रहे हैं, इससे संकेत यही मिल रहे हैं कि वो पश्चिमी चंपारण में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने की प्लानिंग करके बैठे हैं।
यूट्यूबर मनीष कश्यप को पिछले दिनों चंपारण में रैली करते हुए देखा गया, जिसमें ज्यादातर युवा दिखाई दिए। मनीष कश्यप के यूट्यूब चैनल को भी देख लिया जाए तो उनकी रैलियों की ज्यादातर वीडियो मिल जाएंगी। फिलहाल पश्चिमी चंपारण की सीट से मनीष कश्यप का नाम उछला है तो राजनीतिक गलियारों में भी सरगर्मी बढ़ी है। मनीष कश्यप यहां से चुनाव लड़ते हैं तो ये भी तय है कि पश्चिमी पंचारण में मुकाबला दिलचस्प बन जाएगा।
2020 का विधानसभा चुनाव हारे मनीष कश्यप
वैसे मनीष कश्यप बिहार में विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी। वो चनपटिया विधानसभा सीट से बीजेपी के उमाकांत सिंह को चुनौती दे रहे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव में मनीष कश्यप को महज 9232 वोट मिले थे। 13,469 वोटों के मार्जन से चुनाव में जीत उमाकांत सिंह को मिली थी।
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पश्चिमी पंचारण में संजय जायसवाल का दबदबा
पश्चिमी पंचारण से भारतीय जनता पार्टी ने संजय जायसवाल को उतारा है। उन्होंने पहले भी लोकसभा में सीट का प्रतिनिधित्व किया। संजय जयसवाल ने 2009, 2014 और 2019 में तीन चुनाव जीते हैं। उनके पिता मदन प्रसाद जयसवाल 1996, 1998 और 1999 में तीन बार बेतिया सीट से चुने गए थे। 2008 में परिसीमन के कारण ये सीट समाप्त कर दी गई थी।
चंपारण में कभी गांधीजी ने किया था सत्याग्रह
बिहार के चंपारण का अपना एक इतिहास रहा है, जिसको लगभग पूरे देश ने पढ़ा है। चंपारण महात्मा गांधी के सत्याग्रह की भूमि रही है। 1917 का चंपारण सत्याग्रह भारत में गांधीजी के नेतृत्व वाला पहला सत्याग्रह आंदोलन था। इसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण विद्रोह माना जाता है। ये एक किसान विद्रोह था, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान चंपारण में हुआ था। किसान नील की खेती के लिए बमुश्किल कोई भुगतान किए जाने का विरोध कर रहे थे।
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जब गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और उन्होंने किसानों को उत्पीड़ित होते देखा, तो इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। ना सिर्फ चंपारण कि किसानों और पीड़ितों को महात्मा गांधी ने एक रास्ता दिखाया, बल्कि पूरे देश को ये एहसास कराया कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह की क्या शक्ति होती है। चंपारण के सत्याग्रह ने ही उन्हें मोहनदास कर्मचंद गांधी से महात्मा गांधी बनाया था।
Published By : Amit Bajpayee
पब्लिश्ड 16 April 2024 at 13:38 IST